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इस बार पूरी फैमिली डिजिटल अरेस्ट... 5 दिन तक डराते-धमकाते रहे, 1 करोड़ रुपये ठगे

पुलिस उपायुक्त (साइबर क्राइम) प्रीति यादव ने बताया कि शिकायत करने वाले शख्स ने पांच दिन के अंदर आरोपियों को 1.10 करोड़ रुपये दिए. पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है.

साइबर क्राइम (प्रतीकात्मक तस्वीर/Meta AI) साइबर क्राइम (प्रतीकात्मक तस्वीर/Meta AI)
भूपेन्द्र चौधरी
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

उत्तर प्रदेश के नोएडा (Noida) में कुछ बदमाशों एक परिवार को पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किए रहा. एजेंसी के मुताबिक, पुलिस ने सोमवार को बताया कि एक परिवार को कुछ अज्ञात लोगों ने पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रख कर एक करोड़ से ज्यादा की ठगी की. बातचीत के दौरान ठगी करने वाले आरोपियों ने खुद को सरकारी अफसर बताया और परिवार को अपनी बातों में फंसाते गए.

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पुलिस कहा कि 'डिजिटल अरेस्ट' एक नया साइबर फ्रॉड है, जिसमें आरोपी खुद को CBI या सीमा शुल्क अधिकारियों जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी बताते हैं और प्रतिबंधित दवाओं के नकली इंटरनेशनल पार्सल के नाम पर वीडियो कॉल करके लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं. 

ठगी का शिकार हुए शख्स नोएडा के सेक्टर 19A में रहते हैं, जो LIC के मैनेजर पद से रिटायर हुए हैं. मामले के बाद पीड़ित चंदर भान पालीवाल ने साइबर क्राइम थाना, नोएडा में शिकायत दर्ज करवाई. 

'FD तोड़कर फंड ट्रांसफर करने को कहा...'

वीडियो कॉल पर IPS अधिकारी और CBI अधिकारी बनकर ठगों ने पीड़ित को धमकाया कि उनके नाम से मुंबई के केनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया है, जिससे अवैध ट्रांजैक्शन हुआ है. गिरफ्तारी से बचने के लिए पीड़ित को बैंक जाकर अपनी FD तुड़वाने और पूरी रकम ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया.

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डर की वजह से पीड़ित और उनकी पत्नी 3 फरवरी को बैंक पहुंचे और FD तुड़वा ली. अगले दिन 4 फरवरी को 1.10 करोड़ रुपये RTGS के जरिए बंधन बैंक में ट्रांसफर कर दिए गए. इस दौरान परिवार को लगातार वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा गया और धमकाया गया कि किसी को कुछ बताया तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा.

5 फरवरी को ठगों ने बचे हुए पैसों को दूसरे बैंक में ट्रांसफर करने के लिए कहा. जब पीड़ित बैंक पहुंचे, तो एक बैंक अधिकारी ने उन्हें तुरंत पुलिस स्टेशन जाने की सलाह दी. इसके बाद उन्होंने नोएडा के सेक्टर 36 थाना में शिकायत दर्ज करवाई. शिकायत मिलने के बाद साइबर थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

'SIM कार्ड ब्लॉक करने की धमकी...'

पुलिस के मुताबिक, चंद्रभान पालीवाल नाम के शख्स से शिकायत मिली थी कि उन्हें 1 फरवरी को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया था. कॉल करने वाले ने उन्हें भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण से संपर्क करने के लिए कहा और उनके सिम कार्ड को ब्लॉक करने की धमकी दी.

पुलिस उपायुक्त (साइबर क्राइम) प्रीति यादव ने बताया कि कॉल करने वाले ने शिकायतकर्ता से बताया कि उनका मामला मुंबई की साइबर क्राइम ब्रांच के पास है और करीब 10 मिनट बाद भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी होने का दावा करने वाले एक शख्स ने मुंबई के कोलावा पुलिस स्टेशन से पालीवाल को 'वीडियो कॉल' किया.

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यह भी पढ़ें: दिल्ली: डिजिटल अरेस्ट सिंडिकेट का भंडाफोड, 5 आरोपी गिरफ्तार, चीनी ठगों के लिए करते थे काम

पालीवाल ने बताया कि फर्जी पुलिस अधिकारी ने उन पर पैसे ऐंठने का आरोप लगाया और कहा कि उनके खिलाफ अलग-अलग जगहों पर 24 मामले दर्ज हैं. डीसीपी ने बताया कि फोन करने वाले ने यह भी कहा कि CBI मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच कर रही है.

चंद्रभान पालीवाल ने पुलिस को बताया कि वीडियो कॉल आने के बाद उनकी पत्नी और बेटी को भी डिजिटली गिरफ्तार कर लिया गया. डीसीपी ने बताया कि कॉल करने वालों ने धमकी दी कि अगर उन्होंने रकम नहीं दी, तो उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. 

पुलिस उपायुक्त (साइबर क्राइम) प्रीति यादव ने बताया कि शिकायत करने वाले शख्स ने पांच दिन के अंदर आरोपियों को 1.10 करोड़ रुपये दिए. पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है.

 

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