
उपहार त्रासदी पर बनी वेब सीरीज की रिलीज पर उपहार के मालिक और इस मामले में सजायाफ्ता सुशील अंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट से इस पर रोक लगाने की मांग की है. उपहार सिनेमा हादसे पर आधारित नेटफ्लिक्स की नई वेब सीरीज 'ट्रायल बाय फायर' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका सुशील अंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की है.
हाईकोर्ट इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा. अंसल की दलील है कि इस सीरीज में सिनेमा मालिक के किरदार को बहुत घटिया और नैतिक रूप से गिरा हुआ दिखाया गया है. इसके साथ ही घटना क्रम के साथ भी मनमाना छेड़छाड़ की गई है.
13 जनवरी को होनी थी रिलीज
13 जनवरी को लोहड़ी पर रिलीज होने के तैयार वेब सीरीज 'ट्रायल बाई फायर' अपनी रिलीज से ऐन पहले ही विवादों में फंस गई है. दरअसल, साल 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सजायाफ्ता रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने मंगलवार को इसी वेब सीरीज को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
किताब पर भी रोक की मांग थी
अंसल ने वेब सीरीज 'ट्रायल बाई फायर' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है. यह वेब सीरीज 13 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने जा रही है. अंसल ने इससे पहले इसी कांड पर इसी नाम से लिखी गई किताब ट्रायल बाई फायर: द ट्रेजिक ट्रेल ऑफ उपहार ट्रेजेडी पर भी रोक लगाने की गुहार लगाते हुए कोर्ट पहुंचे थे.
वादी ने कहा कि सामाजिक रूप से दंडित किया गया
सुशील अंसल ने अपनी दलील में कहा है कि इन सबके जरिए उन्हें कानूनी और सामाजिक रूप से दंडित किया गया है. कहा जा रहा है कि ये सीरीज उपहार कांड में पीड़ित एक दंपति द्वारा लिखी गई किताब पर आधारित है. कृष्णमूर्ति दंपति ने अपने दो बच्चे उस अग्निकांड में खो दिए थे.
इस रिलीज से अंसल को अपूरणीय क्षति होगी. उसकी प्रतिष्ठा और निजता के अधिकार का हनन होगा. 13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा में हिंदी फिल्म 'बॉर्डर' की स्क्रीनिंग के दौरान भीषण आग लग गई थी. जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. जांच में उपहार प्रबंधन की अनेक लापरवाहियां और ज्यादा टिकटें बेच कर ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में की गई अवैध काम की भी पोल खुली थी. बाद में अंसल के गुर्गों ने हाईकोर्ट स्टाफ के साथ मिलकर कोर्ट के दस्तावेजों में हेराफेरी भी की थी.
वादी की प्रतिष्ठा और गिरेगी
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि इसके रिलीज से अंसल के चित्रण से उनकी प्रतिष्ठा और उनके अधिकार को और अधिक अपूरणीय क्षति होगी. उपहार विक्टिम एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा, 'यह अंसल भाइयों की चाल है, ताकि उनका सच सामने न आए.'