
यूपीएससी ने पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में तर्क दिया है कि धोखाधड़ी की सीमा को उजागर करने के लिए हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करना जरूरी है, जिसमें संभावित रूप से कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं. यूपीएससी ने संकेत दिया कि जांच सिर्फ दस्तावेजों पर निर्भर नहीं हो सकती.
यूपीएससी ने जोर देकर कहा कि खेडकर द्वारा की गई धोखाधड़ी असल में बड़ी प्लानिंग हो सकती है. आयोग ने अदालत से मांग की कि पूजा खेडकर की याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए. खेडकर को अदालत ने अंतरिम राहत देते हुए किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. आयोग का मानना है कि साजिश अन्य लोगों की मदद से रची गई होगी, जिसके बारे में हिरासत में लिए जाने के बाद ही पूछताछ हो सकती है.
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धोखाधड़ी की गहराई जानने के लिए गहन जांच की जरूरत
खेडकर पर गलत बयानी के जरिए अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप है, जिसके बारे में यूपीएससी ने कहा कि इन विरोधाभासों को दूर करने और उनके धोखाधड़ी की गहराई को पहचानने के लिए गहन जांच की जरूरत है. यूपीएससी ने तर्क दिया कि इस महत्वपूर्ण चरण में अग्रिम जमानत देने से जांच में बाधा आएगी और मामले की जड़ तक पहुंचने की कोशिशों में भी बाधा आ सकती है.
आपराधिक इरादा रखने वालों को हौसला मिलेगा
यूपीएससी के मुताबिक, पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से अपराध के वास्तविक पैमाने को उजागर करने के लिए तैयार की गई जांच प्रक्रिया में बाधा आएगी. आयोग ने चेतावनी दी कि इस तरह के फैसले से आपराधिक इरादे वाले लोगों को कानूनी ढांचे को दरकिनार करने का हौसला मिलेगा, जो सिविल सेवाओं के लिए भर्ती प्रथाओं की अखंडता प्रभावित करते हैं.
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मेडिकल रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की आशंका
आयोग ने चिंता जताई कि उसकी दावा की गई विकलांगता से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट के साथ भी छेड़छाड़ की गई हो सकती है, जिसके लिए जांच अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर जांच की जरूरत है. यूपीएससी ने इस तरह की धोखाधड़ी वाली कार्रवाइयों की सख्त न्यायिक जांच की जरूरतों पर जोर दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिष्ठित सिविल सेवाओं की भर्ती प्रक्रियाओं को हेरफेर से बचाया जा सके.