
मूर्तिकार अरुण योगीराज, उनकी पत्नी और बच्चों का अमेरिकी वीजा खारिज कर दिया गया है. हालांकि दूतावास ने वीजा खारिज करने का कारण नहीं बताया है. जानकारी के मुताबिक अरुण योगीराज ने अमेरिका के कन्नड़ कूटस एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम (विश्व कन्नड़ सम्मेलन-2024) में शामिल होने के लिए आवेदन किया था. इस कार्यक्रम का आयोजन वर्जीनिया में होने वाला है. परिवार का कहना है कि यह कोई बड़ी बात नहीं है, वे अगले साल आवेदन करेंगे. यह पर्यटन वीजा था.
मैसूर के रहने वाले मूर्तिकार ने इस साल जनवरी में अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में स्थापित 'राम लला' की मूर्ति को गढ़ा था. वह अयोध्या में भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित लोगों में से एक थे. रामलला की मूर्ति के निर्माण को लेकर अरुण योगीराज ने कहा था कि उन्हें रामलला की आंखें बनाने के लिए 20 मिनट का समय था, साथ ही कहा था कि मुझे मुहूर्त से पहले कई अनुष्ठान करने पड़े, जैसे सरयू में स्नान करना भी शामिल था.
मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए करने वाले अरुण योगीराज ने एक निजी कंपनी के मानव संसाधन विभाग में छह महीने तक प्रशिक्षण लिया, लेकिन उन्होंने एक बार कहा था कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और प्राइवेट जॉब छोड़ दी और पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मैसूर लौट आए.
अरुण योगीराज ने इससे पहले आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची मूर्ति बनाई थी, जिसे केदारनाथ में स्थापित किया गया है, और सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी बनाई थी, जो दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित है.
मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कई मशहूर प्रतिमाएं बनाई हैं. इसमें मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा, डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 15 फुट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा और नंदी की 6 फुट ऊंची अखंड प्रतिमा शामिल है.