
एक नई रिपोर्ट को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका द्वारा "वोटर टर्नआउट के लिए" कथित तौर पर 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग बांग्लादेश के लिए थी, न कि भारत के लिए. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार अपनी इस बात को कह रहे हैं कि USAID द्वारा भारत को 21 मिलियन डॉलर दिए जाने थे.
ट्रंप के इस बयान के बाद से कांग्रेस के खिलाफ जंग छेड़े बैठी भाजपा ने अखबार की इस रिपोर्ट को फर्जी बताया है. कांग्रेस ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने विपक्षी पार्टी पर चुनाव प्रक्रिया में कथित बाहरी प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप लगाकर जल्दबाजी दिखाई है.
दरअसल, इस विवाद के केंद्र में इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच रिपोर्ट है, जिसमें दावा किया गया है कि 2008 के बाद से भारत में किसी भी चुनाव संबंधी परियोजना के लिए USAID से मिलने वाला अनुदान आवंटित नहीं किया गया है. इसमें कहा गया है कि वोटरों की भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर का एकमात्र USAID अनुदान 2022 में बांग्लादेश में " अमर वोट अमर " (मेरा वोट मेरा है) नामक परियोजना के लिए स्वीकृत किया गया था.
रिपोर्ट भाजपा के झूठ को उजागर करती है: कांग्रेस
एक्सप्रेस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने तथ्यों की पुष्टि किए बिना विपक्षी पार्टी पर उंगली उठाने के लिए भाजपा पर निशाना साधा. भाजपा को "राष्ट्र-विरोधी" बताते हुए खेड़ा ने कहा कि यह भाजपा ही है जो सबसे लंबे समय तक विपक्ष में रही है और जिसने कांग्रेस सरकारों को अस्थिर करने के लिए "बाहरी ताकतों से सीधी मदद" ली है.
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने भी खेड़ा की बात का समर्थन करते हुए कहा कि रिपोर्ट ने भाजपा के झूठ को उजागर कर दिया है और पार्टी से माफ़ी की मांग की है. दरअसल बीजेपी ने दशकों से भारत में संस्थानों को USAID के समर्थन का ब्यौरा देने वाला श्वेत पत्र मांगा था.
भाजपा ने खारिज की रिपोर्ट
भाजपा ने अखबार की रिपोर्ट में किए गए दावों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग के संदर्भ को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है जिसका उद्देश्य "भारत में मतदान को बढ़ावा देना" था. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने जोर देकर कहा कि एक्सप्रेस की रिपोर्ट ने 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) की अनदेखी की है.
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मालवीय ने कहा कि आईएफईएस अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि सोरोस के संगठन को मुख्य रूप से USAID द्वारा फंडिंग की जाती है. मालवीय ने ट्वीट किया, "रिपोर्ट में 2014 से शुरू होकर भारत की चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से विभिन्न श्रेणियों के तहत की गई फंडिंग का जिक्र नहीं है." मालवीय ने कहा कि रिपोर्ट पर कांग्रेस की त्वरित प्रतिक्रिया उसकी हताशा को दर्शाती है, जिससे साफ हो गया है कि यूपीए ने भारत के हितों के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को "भारत के संस्थानों में घुसपैठ" करने में मदद की.
उपराष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
वहीं इस मामले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी प्रतिक्रिया दी है. धनखड़ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'हाल में जो खुलासा हुआ है, मैं देखकर दंग रह गया. अमेरिका के राष्ट्रपति ने पूरी जिम्मेदारी के साथ खुलासा किया है कि इस देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नियंत्रित करने, हेरफेर करने की कोशिश की गई ताकि हमारी चुनाव प्रणाली बेदाग प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जा सके. मुझे यकीन है कि यह किसी अधिकारी की ओर से आया है. एक बात सही है, क्योंकि यह तथ्य है: पैसा दिया गया था, और यह राशि छोटी नहीं थी. चाणक्य नीति को अपनाना चाहिए, इसकी जड़ में जाना चाहिए. जड़ से नष्ट करना चाहिए. पता लगाना चाहिए वो कौन लोग हैं जिन्होंने इस प्रकार के आक्रमण को स्वीकार किया, हमारे प्रजातान्त्रिक मूल्यों के ऊपर कुठाराघात किया. उन ताकतों पर प्रतिघात करना हमारा राष्ट्र धर्म है. उनको बेनक़ाब करना होगा क्योंकि तभी भारत शिखर पर जाएगा.'
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