
UP Urban Local Body Polls: उत्तर प्रदेश में जल्द ही निकाय चुनाव हो सकते हैं. हालांकि, अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक नोटिफिकेशन जारी हो सकता है.
वैसे तो यूपी में अब तक नगर निकायो के चुनाव हो जाने थे, लेकिन ओबीसी आरक्षण का मसला उलझने के कारण ये टल गए.
पिछली बार के मुकाबले इस बार नगरीय निकायों की संख्या भी बढ़ गई है. वोटर्स की संख्या भी करीब एक करोड़ बढ़ गई है. ऐसे में जानते हैं यूपी निकाय चुनाव से जुड़ी हर बात...
चुनाव क्यों हो रहे हैं?
उत्तर प्रदेश में 762 नगरीय निकायों पर चुनाव होने हैं. ये चुनाव दिसंबर में हो जाने थे. इन निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच खत्म हो चुका है. हालांकि, बात ओबीसी आरक्षण पर अटक गई थी. इस कारण अब तक चुनाव नहीं हो सके.
तो क्या सुलझ गया ओबीसी आरक्षण का मसला?
हां. 30 मार्च को यूपी सरकार ने ओबीसी आरक्षण का ड्राफ्ट जारी कर दिया है. अभी 762 में से 760 नगर निकायों में चुनाव होगा. इनमें से 205 सीटें ओबीसी के लिए रिजर्व रखी गईं हैं.
कहां किसको आरक्षण?
उत्तर प्रदेश में 17 महापालिकाओं के मेयर, 199 नगर पालिकाओं के अध्यक्ष और 544 नगर पंचायत के अध्यक्ष चुने जाने हैं.
महापौर की 17 में से 9 सीटों को आरक्षित किया गया है. इनमें आगरा सीट एससी (महिला), झांसी एससी, शाहजहांपुर और फिरोजाबाद ओबीसी (महिला), सहारनपुर और मेरठ ओबीसी और लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद को महिला के लिए आरक्षित किया गया है.
जबकि वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या और मथुरा-वृंदावन अनारिक्षित सीटें हैं.
और क्या बदला इस बार?
राज्य चुनाव आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि नगर निगमों और नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार के कारण वोटर्स की संख्या बढ़ गई है.
उन्होंने बताया कि इस बार निकाय चुनाव में 4.32 करोड़ वोटर्स वोट डालेंगे. 2017 में 3.35 करोड़ वोटर्स थे. यानी, पांच साल में 96.36 लाख से ज्यादा वोटर्स बढ़ गए हैं.
उन्होंने ये भी बताया कि इन चुनावों में 4.33 लाख से ज्यादा वोटर्स ऐसे हैं जो पहली बार वोट डालेंगे. ये वो वोटर हैं जो 1 जनवरी 2023 को 18 साल के हो गए थे.
सीमा विस्तार का असर क्या?
सीमा विस्तार होने से नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत की संख्या बढ़ गई है. कुल मिलाकर अब 17 नगर निगम, 200 नगर पालिकाएं और 545 नगर पंचायत हैं. हालांकि, इनमें से 760 पर ही चुनाव होने हैं.
पिछली बार यानी 2017 के चुनाव में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायत थीं. यानी, इस बार एक नगर निगम, 2 नगर पालिका और 107 नगर पंचायतें बढ़ गईं.
राज्य चुनाव आयुक्त मनोज कुमार के मुताबिक, नई नगर पंचायत बनने से कई सारे ग्रामीण इलाके अब नगर में आ गए हैं. इसका नतीजा ये हुए 21.23 लाख से ज्यादा वोटर्स ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में आ गए हैं.
पिछली बार क्या रहे थे नतीजे?
2017 में जब नगर निकाय के चुनाव हुए थे, तो उसमें बीजेपी की बंपर जीत हुई थी. बीजेपी ने 16 में से 14 नगर निगमों पर कब्जा कर लिया था. पिछली बार 1300 में से 597 पार्षद बीजेपी के थे.
वहीं, 198 नगर पालिकाओं में से 70 में और 438 नगर पंचायतों में से 100 में बीजेपी की जीत हुई थी.
कांग्रेस एक भी नगर निगम नहीं जीत पाई थी. कांग्रेस सिर्फ 9 नगर पालिका और 17 नगर पंचायत जीत सकी थी. बहुजन समाज पार्टी ने 2 नगर निगमों पर कब्जा कर लिया था.