
उत्तराखंड में मौजूदा हीटवेव के चलते बढ़ती शुष्कता के कारण लगी आग में लगभग सौ हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए हैं. जंगलों में लगी ये आग इतनी बड़ी और भयानक हैं कि इनमें से कुछ को तो अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सेंटिनल-2 सैटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों में राज्य के कई इलाकों में धुएं के गुबार के साथ भीषण आग को देखा जा सकता है. सोमवार को जारी आधिकारिक आकलन के अनुसार, शनिवार 27 अप्रैल को शुरू हुई जंगल की आग ने 814 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले पेड़ों और वन्यजीवों को जलाकर राख कर दिया है.
आग लगातार भड़क रही है और कई इलाकों में फैल गई है. आजतक द्वारा प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि सोमवार सुबह 11 बजे से मंगलवार सुबह 10 बजे के बीच अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के एक्वा और टेरा उपग्रहों पर मौजूद MODIS सेंसर द्वारा उत्तराखंड में कम से कम 40 सक्रिय आग की पहचान की गई है. एफएसआई ने पिछले 24 घंटों में पाई गई कुल सक्रिय आग में से 10 को 'बड़ी' के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
बारिश से मिली कुछ राहत
कुमाऊं क्षेत्र में भड़की आग की लपटें नैनीताल और अल्मोड़ा में हल्की बारिश से शांत हो गई. पौडी गढ़वाल जिला, जहां दो बड़ी आग जल रही हैं, वहां भी बारिश हुई है. अधिकारियों का कहना है कि सोमवार शाम से राज्य में किसी नई बड़ी आग की सूचना नहीं मिली है. अधिकारियों ने कहा कि बागेश्वर जिले में जंगल की आग लगातार जल रही है लेकिन यह काबू में है. आधिकारिक आकलन के मुताबिक आग मुख्य रूप से कुमाऊं रेंज में केंद्रित है.
वायु सेना के हेलिकॉप्टर से बुझाई जा रही आग
इससे पहले, शनिवार को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के हेलिकॉप्टर की मदद से नैनीताल-भवाली मार्ग पर लड़ियाकाटा और पाइंस क्षेत्र के जंगलों में लगी आग को बुझाया गया. आग के नैनीताल हाई कोर्ट कॉलोनी और एयर फोर्स बेस के करीब पहुंचने के बाद शुक्रवार को एक एमआई-17 आईएएफ हेलिकॉप्टर को आग पर काबू पाने के लिए तैनात किया गया था.
आग के बारे में जागरूकता फैला रहा वन विभाग
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक प्रसन्ना कुमार पात्रो ने हाल ही में जंगल में आग की घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए नेपाल की सीमा से लगे उत्तराखंड के चंपावत और नैनीताल जिलों के निचले इलाकों में हीटवेव के कारण बढ़ी शुष्कता को जिम्मेदार ठहराया. गढ़वाल डीएफओ अनिरुद्ध स्वप्निल ने पौडी में पत्रकारों को बताया कि वन विभाग के कर्मचारी जंगल की आग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पहाड़ियों में गांव-गांव जा रहे हैं.
वन विभाग ने किया इनाम का ऐलान
लोगों को जागरूक करने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा है. स्वप्निल ने कहा, 'लोगों से कहा जा रहा है कि वे जंगल में आग लगने की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें और खुले में कूड़ा न जलाएं या लापरवाही से जलती हुई सिगरेट या बीड़ी वन क्षेत्रों में न फेंके.'
उन्होंने कहा कि लोगों से यह भी कहा जा रहा है कि अगर वे किसी को जंगलों में आग लगाते हुए पकड़ते हैं तो अधिकारियों को रिपोर्ट करें. उन्होंने बताया कि इस तरह के उल्लंघन की सूचना देने वाले किसी भी व्यक्ति को वन विभाग की ओर से इनाम दिया जाएगा. जंगलों में आग लगाते हुए पकड़े जाने पर वन अधिनियम 1927 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
जीडीपी की तर्ज पर बनाना होगा GEP
आज तक से खास बातचीत में पर्यावरणविद् डॉक्टर अनिल जोशी ने बताया जंगलों की आग को रोकने के लिए लोगों को जंगलों से जोड़ना होगा, उन्हें प्रोत्साहित करना होगा. जल जंगल जमीन तीनों अलग हो गए हैं, उन्हें साथ लाना होगा तब उत्तराखंड बचेगा. वन पंचायतों को और मजबूत बनाना होगा. मिट्टी में नमी नहीं होगी तो जंगल जलेंगे और यह सिलसिला बढ़ता जाएगा.
उन्होंने कहा कि हीट वेव पिछले 50 साल में 5 फीसदी बढ़ी है और वन अग्नि आने वाले सालों में और भी खतरनाक होगी. जीडीपी की तर्ज पर GEP यानी ग्लोबल एनवायरमेंट प्रोडक्ट को भी लाना पड़ेगा क्योंकि वन अग्नि से करोड़ों का नुकसान होता है. बढ़ते कंक्रीट के स्ट्रक्चर और ट्रैफिक जाम से उत्तराखंड के वातावरण पर काफी असर पड़ा है.
अनिल जोशी ने कहा कि चीड़ के पेड़ उत्तराखंड की भूमि के विपरीत हैं और वन अग्नि के कारण वनों की मिट्टी की उपजाऊ सात भी मर जाती है. सरकार को जल्दी ही बड़े कदम उठाने होंगे नहीं तो वन अग्नि बड़ी तबाही मचाएगी. उत्तराखंड में और हिमाचल में मानसून भयावह होते जा रहे हैं.