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दिल्ली: एक ही दिन में बदले गए युवक के दो अंग, बहन ने लिवर तो मां ने किडनी डोनेट की

डॉक्टरों ने बताया कि युवक को प्राथमिक हाइपरॉक्सिल्यूरिया टाइप 1 नामक एक जीन दोष था, जो जीन AGXT में म्युटेशन लीवर की क्षमता को कम करता है. युवक के लिवर में एंजाइम नहीं बनते थे और किडनी समेत दूसरे अंगों पर इसका बुरा असर पड़ रहा था. डॉक्टरों ने कहा कि वर्षों से मरीज अपने पैतृक शहर में इलाज करवा रहा था.

दिल्ली के निजी अस्पताल में किडनी और लिवर का ट्रांसप्लांट किया गया. दिल्ली के निजी अस्पताल में किडनी और लिवर का ट्रांसप्लांट किया गया.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

रक्षाबंधन से पहले एक बहन ने अपने भाई को नई जिंदगी दी है. उत्तराखंड के एक 22 साल के लड़के को एक निजी हॉस्पिटल में किडनी और लिवर डोनेट किया गया. युवक के एक ही दिन में दोनों अंग बदले गए हैं. युवक की 27 साल की बड़ी बहन ने लिवर और 46 साल की मां ने किडनी डोनेट की है. डॉक्टर्स के मुताबिक, ये युवक 7 साल की उम्र से 'दुर्लभ आनुवंशिक' बीमारी से पीड़ित था.

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बुधवार को डॉक्टरों ने बताया कि युवक को प्राथमिक हाइपरॉक्सिल्यूरिया टाइप 1 नामक एक जीन दोष था, जो जीन AGXT में म्युटेशन लीवर की क्षमता को कम करता है. युवक के लिवर में एंजाइम नहीं बनते थे और किडनी समेत दूसरे अंगों पर इसका बुरा असर पड़ रहा था. उन्होंने बताया कि इस जीन में अनुपस्थिति या दोष ऑक्सालेट की वजह से शरीर में इसका अत्यधिक भंडारण होता है.

अस्पताल ने एक बयान में बताया कि इस बीमारी की वजह से किडनी और अन्य अंगों जैसे हृदय, हड्डियों, रक्त वाहिकाओं आदि में अघुलनशील कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल जमा होने लगता है. इसके साथ ही शरीर के दूसरे अंगों पर गंभीर असर पड़ने लगता है, जिससे अंग खराब हो जाते हैं.

डॉक्टरों ने कहा कि वर्षों से मरीज अपने पैतृक शहर में इलाज करवा रहा था. हाल ही में रेगुलर हेमोडायलिसिस से गुजरना शुरू कर दिया था. उन्होंने बताया कि इस बार युवक की हालत अंतिम चरण में किडनी खराब होने तक पहुंच गई थी, जिसके बाद 6 जून को यहां अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

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अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार, नेफ्रोलॉजी और मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट डॉ. कैलाश नाथ सिंह ने तत्काल संयुक्त किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की सिफारिश की. उसके बाद 7 जून को सीनियर कंसल्टेंट सर्जन संदीप गुलेरिया और सीनियर लिवर ट्रांसप्लांट डॉ. नीरव गोयल की देखरेख में अस्पताल में 16 घंटे लंबी किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई. डॉक्टर्स का कहना था कि ये बीमारी दुनिया में कुछ ही लोगों को होती है.

डॉ गुलेरिया ने बताया कि 'प्राथमिक हाइपरॉक्सिल्यूरिया टाइप 1 एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है. इसका पहला लक्षण किडनी में पथरी होना होता है. किडनी की पथरी के उपचार में देरी नहीं होना चाहिए. ऐसी बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं. इसलिए, 22 साल के युवक को तुरंत किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट के लिए सिफारिश की गई. जांच के बाद मां की किडनी और बहन का लिवर ट्रांसप्लांड के लिए उपयुक्त पाया गया.

उसके बाद हॉस्पिटल ने एक प्लान बनाया. उसी के तहत मरीज ने दोनों प्रक्रियाओं को एक साथ किया और प्रत्यारोपण के 21 दिनों के बाद छुट्टी दे दी गई. अब मरीज अच्छी तरह से ठीक हो रहा है. उसे फॉलो-अप के लिए अस्पताल आना पड़ेगा.

प्राथमिक Hyperoxyluria का सामान्य कारण अनुवांशिक है. इस रोग का पहला लक्षण किडनी की पथरी है. बार-बार उपचार के बावजूद ऑक्सालेट के जमाव के कारण अंग में किडनी की पथरी विकसित होती रहती है.

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