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लाएं हैं हम चट्टान से जिंदगी निकाल के...400 घंटे का रेस्क्यू ऑपरेशन, 652 लोगों की टीम, सुरंग से जंग जीतने के बड़े मोमेंट

ये मजदूर 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद फंस गए थे. इन्हें निकालने के लिए 12 नवंबर से ही कोशिशें शुरू हो गई थीं. देखते ही देखते इस ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत देश-विदेश की कई एजेंसियां जुड़ गईं. सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए कई तरह के प्लान बनाए गए. कुछ प्लान फेल भी हुए. आखिरकार 17 दिन बाद मजदूर बाहर निकाल लिए गए थे.

सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को किया गया रेस्क्यू (फोटो- एएनआई) सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को किया गया रेस्क्यू (फोटो- एएनआई)
अंकित शर्मा
  • उत्तरकाशी,
  • 29 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. 400 घंटे के रेस्क्यू के बाद एजेंसियां मजदूरों को निकालने में सफल हो पाईं. मजदूरों के रेस्क्यू में अलग अलग टीमों के 652 लोग शामिल थे. इन 41 मजदूरों के रेस्क्यू में सबसे अहम भूमिका रैट होल माइनर्स ने निभाई. जब चट्टानों को भेदने में मशीनें विफल हो गईं, तो इन विशेषज्ञों ने कमान संभाली. इस टीम ने 800 मिमी व्यास पाइप में घुसकर आखिरी के 10-12 मीटर की खुदाई की. इसी का नतीजा हुआ कि 2 किलोमीटर लंबी और करीब 50 फीट चौड़ी सुरंग में फंसे 41 मजदूर आखिरकार 17 दिन बाद बाहर आ गए.

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ये मजदूर 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद फंस गए थे. इन्हें निकालने के लिए 12 नवंबर से ही कोशिशें शुरू हो गई थीं. देखते ही देखते इस ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत देश-विदेश की कई एजेंसियां जुड़ गईं. सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए कई तरह के प्लान बनाए गए. कुछ प्लान फेल भी हुए. लेकिन एजेंसियां हॉरिजेंटल ड्रिलिंग में जुटी रहीं. रेस्क्यू टीमों ने हॉरिजेंटल ड्रिलिंग करके करीब 60 मीटर मलबे को खोदकर 800 मिमी व्यास का पाइप डाला गया. इसी पाइप से एनडीआरएफ की टीम मजदूरों के पास पहुंची. इसके बाद एक एक कर मजदूरों को बाहर निकाला गया.

41 लोगों को बचाने के लिए लगे थे 652 लोग

106  हेल्थ वर्कर
189 पुलिसकर्मी
62 NDRF
39 SDRF
17 ITBP 35 BN
60 ITBP 12 BN
12 उत्तरकाशी फायर मैन
7 वायरलेस पुलिस
24 DDMA
46 जल संस्थान उत्तरकाशी
7 जल निगम
9 DSO उत्तरकाशी
3 इंफोर्मेशन डिपार्टमेंट
32 UPCL
1 सीडी पीडब्लूडी चिन्यालीसौड़

 
12 नवंबर को फंसे थे मजदूर

सिल्क्यारा सुरंग उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को इस निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. इसके चलते सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए थे.

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कई मशीनें लगीं, कभी जगी उम्मीद-कभी हाथ लगी निराशा

इसके बाद कई मशीनों से खुदाई की गई. सुरंग में वर्टिकल और हॉरिजेंटल ड्रिलिंग की गई. सुरंग के दूसरे सिरे से भी खुदाई शुरू की गई. रेस्क्यू के दौरान टीमों को कभी उम्मीद जगी, तो कभी निराशा भी देखने को मिली. 

रेस्क्यू टीमों ने ऑपरेशन के दौरान अमेरिकी ऑगर मशीन का सहारा लिया. हालांकि, एक मशीन कुछ ही मीटर की खुदाई करके खराब हो गई. इसके बाद एयरलिफ्ट कर दूसरी ऑगर मशीन मंगाई गई. लेकिन ये मशीन करीब 48 मीटर की खुदाई करने के बाद मलबे में फंस गई थी. इसके बाद मशीन को काटकर बाहर निकाला गया. हालांकि, खराब होने से पहले मशीन ने 48 मीटर की खुदाई पूरी कर दी थी. 

रैट होल माइनिंग से मिली सफलता

इसके बाद सुरंग को मैन्युअल खोदने का फैसला किया गया. इसके लिए ऐसे विशेषज्ञों को बुलाया गया, जो रैट होल माइनिंग में दक्ष हों. रैट होल माइनिंग का इस्तेमाल मैन्युअल विधि से हॉरिजेंटल खुदाई करने की एक विधि है. रैट-होल माइनिंग अत्यंत संकीर्ण सुरंगों में की जाती है. कोयला निकालने के लिए माइनर्स हॉरिजेंटल सुरंगों में सैकड़ों फीट नीचे उतरते हैं. चुनौतीपूर्ण इलाकों खासकर मेघालय में कोयला निकालने के लिए इसका विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, 2014 में इस पर रोक लगा दी गई थी. 

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2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. एनजीटी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद, अवैध रूप से रैट-होल खनन जारी है. मेघालय में हर साल कई मजदूरों को रैट होल माइनिंग के दौरान अपनी जान गंवानी पड़ती है. यही वजह है कि इसे लेकर हमेशा से विवाद होता रहा है. उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया था कि रेस्क्यू साइट पर लाए गए लोग रैट माइनर्स नहीं बल्कि इस तकनीक में विशेषज्ञ लोग हैं.

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