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जश्न-ए-बहार... कहीं लगे हर-हर महादेव तो कहीं जय श्री राम के नारे, सुरंग से निकले मजदूरों के गांवों में होली-दिवाली

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी में 41 मजदूरों सुरंग से बाहर आते ही उनके परिजनों के साथ ही लोगों ने जश्न मनाया और आतिशबाजी की. इसी के साथ कई जगह जय श्रीराम के नारे लगाए गए. लोगों ने कहा कि रेस्क्यू टीम को धन्यवाद कि उन्होंने इतनी मेहनत से मजदूरों की जान बचाई है.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मनजीत के घर पर मनाया गया जश्न. (Photo: ANI) उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मनजीत के घर पर मनाया गया जश्न. (Photo: ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. इसके बाद मजदूरों की सलामती की दुआएं कर रहे लोगों ने जश्न मनाया. मजदूरों के गांवों के साथ ही कई जगहों पर होली-दिवाली और ईद एक साथ मनाई गई. लोगों ने आतिशबाजी के साथ ही मिठाई खिलाकर खुशी मनाई.

उत्तरकाशी की सुरंग से सबसे पहले झारखंड के खूंटी के रहने वाले विजय होरो को बाहर निकाला गया. बाहर आते ही विजय ने माता-पिता और पत्नी से बात की. वहीं टनल से रांची ओरमांझी के खीरा बेड़ा से तीन बाहर निकले तो उनके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यहां सुरंग से बाहर आए अनिल बेदिया के पिता चरकू बेदिया ने मोदी सरकार को धन्यवाद दिया.

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वहीं उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के भी मजदूर सुरंग में फंसे थे. टनल से सुरक्षित बाहर निकले मनजीत के घर में आज दिवाली मनी और पटाखे जलाए. सिलकेरा टनल से 17 दिनों बाद निकलने के बाद मनजीत की मां ने बताया कि जब उनके परिवार को पता चला था कि मनजीत टनल में फंसा है तो मनजीत के पिता ने घर में रखे जेवर गिरवीं रखे, और करीब 9 से 10 हजार रुपये लेकर उत्तरकाशी गए थे. अब उनके पास 290 रुपये ही बचे हैं. यही आस है कि वह घर तक आ जाएंगे, नहीं तो ऊपर वाला उनकी मदद करेगा.

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मनजीत की मां ने कहा कि हम बहुत खुश हैं, हमारा बेटा बाहर आ गया. 17 दिन बाद आज बाहर आया है. सरकार को धन्यवाद. सरकार भगवान है हमारे लिए. मजदूरों के लिए भगवान है सरकार. धन्यवाद उत्तराखंड की सरकार. बहुत-बहुत धन्यवाद. उनके बाल बच्चे ठीक रहें. यही प्रार्थना है. हमने बहुत इंतजार किया. देवी देवताओं से भीख मांगते थे कि हमारी झोली में बेटे को डाल दो. अब हम बहुत खुश हैं.

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मजदूरों के बाहर आने के बाद परिजनों ने मिठाईं बांटी.

बिहार के भोजपुर आरा के श्रमवीर सबाह अहमद के घर भी खुशी मनाई जा रही है. घर के चिराग को टनल से बाहर निकलने की तस्वीर देख पिता-मां और पत्नी की आंखों से आंसू आ गए. सबाह अहमद के परिवार वालों ने कहा कि आज लाड़ला सुरक्षित है, इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं. हमारे घर एक साथ ईद दिवाली और होली मनाई जा रही है. सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देते नजर आए.

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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के अखिलेश कुमार भी टनल में फंसे थे. वे बाहर निकले तो उनकी मां अंजू देवी तुरंत कुल देवता की पूजा करने पहुंच गईं. इसके बाद उन्होंने शीतला माता की पूजा की. उनका कहना था कि बेटा सुरक्षित निकले, इसको लेकर माता से गुहार लगाई थी. गांव में जैसे ही अखिलेश के टनल से बाहर निकलने की सूचना मिली तो जश्न की शुरुआत हो गई. दिवाली मनाई जाने लगी, घर को मोमबत्ती से रोशन किया गया, पटाखे फोड़े गए. घर पर पूजा पाठ चलता रहा.
 
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के रहने वाले माणिक तालुकदार ने सुरंग से बाहर आने के बाद वीडियो कॉल पर परिजनों से कहा कि वह ठीक हैं, यह देख उनकी पत्नी सोमा तालुकदा मुस्कुरा दीं. ग्रामीणों ने उनका मुंह मीठा कराया. माणिक की पत्नी सोमा तालुकदार ने खुशी में शंख बजाया. माणिक के बेटे मोनी तालुकदार के साथ ही ग्रामीणों ने घर में खुशी मनाई.

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असम के कोकराझार में श्रमिक राम प्रसाद के परिजनों ने जश्न मनाया. (Photo: ANI)

असम के कोकराझार जिले के राम प्रसाद और संजय टनल में फंसे थे. उनके बाहर आने के बाद इलाके और घरों में आतिशबाजी कर खुशी मनाई गई. परिजनों ने कहा कि बेटे से बात हुई है. एंबुलेंस में था. उसने कहा कि पिता जी चिंता न करें,मैं ठीक हूं. एक बच्ची ने कहा कि मैं सरकार का धन्यवाद देना चाहती हूं कि मेरे पिता बाहर आ गए.

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उत्तराखंड के कोटद्वार के बिशनपुर के रहने वाले फोरमैन गब्बर सिंह नेगी के घर परिजनों ने खुशी मनाई. इस दौरान गब्बर सिहं की पत्नी यशोदा देवी, बेटा आकाश व भतीजा विवेक मौजूद था.

झारखंड के रांची जिले के ओरमांझी थाना क्षेत्र के खीरा बेड़ा गांव के उतरकांशी के सिलक्यरा टनल से फंसे तीनों युवक राजेंद्र बेदिया अनिल बेदिया और सुकराम बेदिया के बाहर निकलने पर उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है. परिजन अपने बेटे से फोन पर बात कर खुश हैं. वहीं इनके परिजन प्रधानमंत्री के साथ साथ राहत कार्य में लगे सभी को धन्यवाद दे रहे हैं.

झारखंड के डुमरिया में रहने वाले पिंकू सरदार के परिवार में खुशी मनाई जा रही है. पिंकू के पिता को बोनी सरदार कैंसर रोगी हैं. पिंकू मैट्रिक पास करने के बाद पिता के इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए काम करने गया था. हीरा सरदार कहती हैं कि वह बेटे का स्वागत नए कपड़े पहनाकर करेंगी. वह कभी भी अपने बेटे को अब बाहर काम पर जाने नहीं देंगी. उसका भाई ड्राइवर है. वहीं मानिकपुर सहित अन्य पांच मजदूरों के गांव में खुशी की लहर है. मानिकपुर गांव से 6 युवा वहां गए थे, जिनमें 3 टनल में फंस गए थे.

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कानपुर में लोगों ने जश्न मनाया और नारेबाजी कर रेस्क्यू टीम को धन्यवाद दिया.

कानपुर में आतिशबाजी कर लोगों ने रेस्क्यू टीम का दिया धन्यवाद

टनल में फंसे 41 मजदूरों को जैसे ही बाहर निकाला गया तो पूरे देश में जश्न मनाया जाने लगा. कानपुर में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और रेस्क्यू टीम जिंदाबाद के नारे लगाए. लोगों ने पीएम मोदी का भी धन्यवाद दिया. लोगों ने कहा कि जिस तरह मौत के मुंह में पहुंच चुके मजदूरों को देश के इंजीनियरों ने और अधिकारियों ने बाहर निकाला है, वह धन्यवाद के पात्र हैं.

12 नवंबर को धंस गई थी सिल्क्यारा टनल

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग से बचाए गए 41 मजदूर स्वस्थ हैं. सुरंग से सभी पैदल चलकर बाहर आए. बता दें कि 12 नवंबर को सुंरग का एक हिस्सा धंस गया था, जिसकी वजह से 41 मजदूर उसमें फंस गए थे. 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहे मजदूरों को घर भेजे जाने से पहले चिकित्सा निगरानी में रखा जाएगा.

सीएम ने की एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की कि सभी 41 मजदूरों को 1-1 लाख रुपये दिए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सुरंग के पास बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा. पहाड़ी में निर्माणाधीन सुरंगों की समीक्षा की जाएगी. केंद्र सरकार ने निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट कराने का फैसला किया है.

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गोरखपुर के माइनर्स और दिल्ली जल बोर्ड ने निभाई भूमिका

सीएम धामी ने कहा कि बचाव अभियान में रैट माइनर्स ने बड़ी भूमिका निभाई. श्रमिकों के बाहर निकलने के लिए सबसे छोटे रास्ते के बारे में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से सलाह ली गई. सीएम धामी ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रैट माइनर्स और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को धन्यवाद दिया, जिन्होंने मजदूरों तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग की.

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