Advertisement

UCC: गर्भस्थ शिशु को अधिकार, संपत्ति के बायलॉजिकल हक का कॉन्सेप्ट, जानें यूसीसी में संपत्ति के बंटवारे का क्या है प्रावधान?

उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड में उत्तराधिकार को व्यापक तरीके से परिभाषित किया गया है. इस बिल में अवैध रिश्ते से जन्मे बच्चे का कॉन्सेप्ट ही खत्म कर दिया गया है. और ऐसे निर्दोष बच्चे को संपत्ति में बराबर अधिकार दिया गया है. इसके अलावा गर्भ में पल रहे बच्चे के अधिकारों का भी खयाल रखा गया है और उसके लिए व्यवस्था की गई है.

UCC बिल पर बहस जारी (पीटीआई फोटो) UCC बिल पर बहस जारी (पीटीआई फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूनिफॉर्म सिविल कोड के अलग अलग पहलुओं पर जबर्दस्त चर्चा जारी है. इस प्रस्तावित कानून में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार को नए बिल की रोशनी में परिभाषित किया गया है.इस बिल में अवैध रिश्ते से जन्मे बच्चे का कॉन्सेप्ट ही खत्म कर दिया गया है. और ऐसे किसी भी बच्चे को वे सारे अधिकारी दिए गए हैं जो किसी भी सामान्य रिश्ते से पैदा हुए बच्चे को मिलते हैं.

Advertisement

 इसके अलावा इस बिल में 'बायलॉजिकल राइट्स' या जैविक अधिकारों के कॉन्सेप्ट को लाया गया है. उत्तराखंड यूसीसी अमान्य (Void) और अमान्य हो सकने वाले (voidable) विवाह से पैदा हुए बच्चों के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों को भी वैध मानता है. इसके अलावा इस बिल में गर्भस्थ बच्चे को भी उत्तराधिकार दिया गया है. इसके अलावा माता-पिता की संपत्ति पर नजरें टिकाये संतानों के लिए भी इस बिल में सबक है. 

गर्भस्थ शिशु के अधिकार

UCC बिल उत्तराधिकार के प्रयोजनों के लिए ऐसे उत्तराधिकारियों के बीच कोई भेद नहीं करता है जिनका जन्म हो गया है अथवा जो उस व्यक्ति जिसकी संपत्ति का बंटवारा होना है की मृत्यु के समय गर्भ में था/थी.गर्भस्थ शिशु को ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के समय से ही उत्तराधिकारी माना जाएगा.

उत्तराखंड UCC बिल में गृह स्वामी के संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है. इस बिल के तहत बेटे और बेटियों को समान संपत्ति अधिकार दिए गए हैं. समान नागरिक संहिता में संपत्ति के अधिकार को लेकर अवैध संबंध से पैदा हुए बच्चों और सामान्य बच्चों के बीच कोई भेद नहीं किया गया है. इस बिल में ऐसे अवैध संबंधों से पैदा हुए बच्चे को भी जैविक संतान माना गया है. और उन्हें संपत्ति का उत्तराधिकार माना गया है.

Advertisement

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में गोद लिए गए, सरोगेसी से पैदा हुए या दूसरे मेडिकल तकनीक से पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है. ऐसे बच्चों को अन्य लोगों की तरह ही जैविक बच्चा माना गया है और उन्हें संपत्ति का अधिकार दिया गया है. 

इस बिल में किसी महिला/पुरुष की मृत्यु के बाद उसके पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार देती है. मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार दिए गए हैं.

संपत्ति का बंटवारा

विधानसभा में पेश UCC बिल में उत्तराधिकारियों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. 

पहली कैटेगरी- इस श्रेणी में पति/पत्नी, बच्चे, पूर्व में मृत बच्चों के बच्चे और उनके पति/पत्नी और माता-पिता आते हैं. यानी कि अब माता-पिता भी पुत्र पुत्री के संपत्ति में अधिकारी हैं.

दूसरी कैटेगरी-इस कैटेगरी में सौतेले माता-पिता, भाई बहन, पूर्व मृत भाई बहन के बच्चे और उनके पति पत्नी, माता पिता के भाई बहन, दादा दादी और नाना-नानी शामिल हैं. 

कैटेगरी एक के उत्तराधिकारी एक साथ उत्तराधिकार का हक प्राप्त करेंगे. वसीयत न बनाकर मरने वाले शख्स के संपत्ति में मृतक का प्रत्येक जीवित पति-पत्नी एक-एक शेयर लेगा. प्रत्येक जीवित बच्चे को एक-एक शेयर मिलेगा. 

बता दें कि ऊपर के सारे प्रावधान उन परिस्थितियों में लागू होंगे जहां मरने वाले व्यक्ति ने अपनी वसीयत नहीं बनाई है. 

Advertisement

इन्हें नहीं मिलेगा संपत्ति में हिस्सा

UCC बिल कहता है कि अगर मृत नातेदार की विधवा अथवा विधुर ने मरे व्यक्ति के जीवनकाल में पुनर्विवाह कर लिया है तो वह उसका संपदा का उत्तराधिकारी नहीं होगा. 

ऐसा व्यक्ति जो हत्या करता है, अथवा हत्या करने के की दुष्प्रेरणा देता है, ऐसे शख्स को मृत व्यक्ति की संपदा में कोई अधिकार नहीं मिलेगा.इसके अलावा हत्या का ऐसा दोषी ऐसे किसी उत्तराधिकार में हिस्सा प्राप्त नहीं कर सकेगा जहां संपदा पाने की लालसा से उसने हत्या की थी. 

UCC बिल का हिस्सा.

बता दें कि ऐसी कई खबरें आती हैं जब संपत्ति के लालच में पुत्र अथवा पुत्री अपने पिता अथवा मां, अथवा दोनों की हत्या कर देते हैं. इस प्रावधान के बाद अब कोई व्यक्ति उत्तराधिकार में सम्पत्ति प्राप्त करने के लिए हत्या करने जैसे जघन्य एवं घिनौने अपराध से दूर रहेगा. अगर वो ऐसा करता है तो उसे पिता की संपत्ति हासिल नहीं होगी. UCC की धारा-58 में ये व्यवस्था की गई है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement