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वाराणसी: मैन पावर और रिसोर्सेज की कमी के बीच फॉरेंसिक लैब में दो साल से धूल खा रही DNA मशीनें

वाराणसी के रामनगर इलाके में स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब अपने अच्छे दिनों का बाट जोह रही है. प्रयोगशाला बने 15 साल हो चुके हैं और अब अधिक काम का दबाव भी है, लेकिन इसके बावजूद संसाधन के अभाव में अभी भी यह बी ग्रेड की श्रेणी में अटका हुआ है.

वाराणसी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला वाराणसी की विधि विज्ञान प्रयोगशाला
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 23 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:04 PM IST

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जहां एक ओर चौमुखी विकास का दावा किया जा रहा है तो वहीं वाराणसी की फॉरेंसिक साइंस लैब अभी भी इस विकास से अछूती नजर आ रही है. वाराणसी के रामनगर इलाके में स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब अपने अच्छे दिनों का बाट जोह रही है. प्रयोगशाला बने 15 साल हो चुके हैं और अब अधिक काम का दबाव भी है, लेकिन इसके बावजूद संसाधन के अभाव में अभी भी यह बी ग्रेड की श्रेणी में अटका हुआ है. वाराणसी, आजमगढ़, मिर्जापुर मंडल के जिलों के अलावा अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर 12 जिले के सैंपल्स और 22 जिलों के साइबर से जुड़े अपराधों की जांच वाराणसी में ही होती है.

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आलम तो यह है कि DNA जैसी महत्वपूर्ण जांच के लिए इस प्रयोगशाला से नमूने गोरखपुर और लखनऊ भेजे जाते हैं. DNA जांच की सुविधा न होने की वजह से रिपोर्ट तो देर में आती ही है और न्यायालय के समक्ष भी देर से जा पाती है जबकि वाराणसी की प्रयोगशाला में पिछले लगभग डेढ़ साल से DNA की जांच के लिए मशीनें आकर रखी हुई है. संसाधन बढ़ाने को लेकर आए दिन प्रयोगशाला के अधिकारी उच्चाधिकारियों से पत्राचार करते हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला ही निकलता है.

इस बारे में वाराणसी के रामनगर क्षेत्र में स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब के प्रभारी संयुक्त निदेशक सुरेश चंद्र ने बताया कि उनकी प्रयोगशाला रीजनल प्रयोगशाला है जो 2005 में शुरू हुई थी. आज कुल 7 सेक्शन स्थापित है. मैन पावर की भारी कमी तो है भी और जो स्टाफ है वे रिटायर भी हो रहें हैं.  प्रयोगशाला को और भी बेहतर बनाने के लिए संसाधन और मैन पावर के लिए हेडक्वार्टर को लिखा जा रहा है. ताकि टेस्टिंग को और तेज किया जा सके. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में होने की वजह से यह प्रयोगशाला अभी भी बी श्रेणी की है जबकि यह ए श्रेणी की होनी चाहिए. जिसके तहत DNA, लाई डिटेक्शन, एक्सप्लोसीव सेक्शन, मेडिको लीगल, क्राइम सीन मैनेजमेंट की सुविधा नहीं है. 

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उन्होंने आगे बताया कि उनके प्रयोगशाला में DNA सेक्शन की पूरी यूनिट बनकर पड़ी हुई है, लेकिन मैनपावर ना होने की वजह से इसे शुरू नहीं किया जा सका है. इसके संदर्भ में उच्चाधिकारियों को लिखा जा चुका है. DNA की मशीनें लगभग दो साल से लगी हुई हैं, लेकिन काम नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि यूपी में चार जगहों पर DNA जांच होती है और वाराणसी जोन के सभी जिलों से DNA परीक्षण के लिए गोरखपुर फॉरेंसिक साइंस लैब में भेजा जा रहा है. 

उन्होंने आगे बताया कि अगर वाराणसी में भी DNA टेस्ट शुरू हो जाए तो पुलिस और न्यायालय के समक्ष साक्ष्य पेश होने में कम समय लगेगा जिससे त्वरित न्याय मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि DNA के साथ ही बैलिस्टिक का भी परीक्षण इसलिए नहीं हो पा रहा है, क्योंकि प्रयोगशाला की इमारत ही गलत तरीके से बनी है और उसमें वाटर सिपेज की समस्या है. अंडर ग्राउंड में पानी भर जाने की वजह से फायरिंग रेंज में बैलिस्टिक जांच भी नहीं हो पा रही है. इसके चलते बैलिस्टिक जांच के संयंत्र आकर दूसरे लैब वापस जा चुके हैं. पेंडेंसी की बात को उन्होंने स्वीकारा कि DNA की जांच ना हो पाने की वजह से गोरखपुर और लखनऊ के FSL में भेजा जा रहा है जिससे पेंडेंसी भी बढ़ी है.

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