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ज्ञानवापी मस्जिद में ASI के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, मुस्लिम पक्ष से हाईकोर्ट जाने के लिए कहा

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को यह समय जिला अदालत के सर्वे के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए दिया है.

ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो- पीटीआई) ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो- पीटीआई)

यूपी के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसे मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है. जिला जज एके विश्वेश के आदेश के बाद ASI की 43 सदस्यीय टीम सोमवार सुबह 7 बजे ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. SC ने ASI सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा. 

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दरअसल, जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. 

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सोमवार को वाराणसी से लेकर SC तक में क्या क्या हुआ? 

दरअसल, जिला जज का आदेश मानते हुए ASI की टीम ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. ASI ने सर्वे के लिए चार टीमें बनाई थीं. चारों टीमें अलग अलग जगह पर सर्वे करने पहुंची थीं. पहली टीम पश्चिमी दीवार के पास, 1 टीम गुंबदों का सर्वे, एक टीम मस्जिद के चबूतरे का और एक 1 टीम परिसर का सर्वे कर रही थी. तभी मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ASI का पक्ष मांगा. 


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AIMPLB ने सर्वे का जताया था विरोध

AIMPLB सदस्य और ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने आजतक से बात की. उन्होंने ज्ञानवापी के ASI सर्वेक्षण का विरोध किया. उन्होंने कहा, सर्वे के लिए वाराणसी कोर्ट ने जरूर ऑर्डर किया है लेकिन मुस्लिम पक्ष ने वहां पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही केस एप्लाई किया है, वह चाहते हैं कि पहले सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आ जाए और उसके बाद अगर कुछ होता तो बेहतर होता. यह मुनासिब नहीं था कि सुबह-सुबह सर्वे शुरू कर दिया. एक बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाता तो शायद बेहतर होता. 

उन्होंने कहा, कोई भी मस्जिद कभी किसी भी इबादत गाह को गिरा कर बनाना इस्लामिक तौर पर इजाजत नहीं देता है. यह कहना की मस्जिद कब्जा कर बनाई गई यह बेबुनियाद बात है. अगर इतिहास में जायेगे तो और भी बहुत बातें निकलनेगी तो इसपर बात न करें तो बेहतर. मस्जिद के जिम्मेदार लोग जो है वह इस केस को लड़ रहे हैं ,पर्सनल लॉ बोर्ड इस केस को मॉनिटर कर रहा है और पूरी तरीके से मस्जिद कमेटी के साथ है. 

क्या है मामला?

दरअसल,  अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी.  

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पिछले सर्वे में हुआ था शिवलिंग मिलने का दावा

महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है.

- इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 

- SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था.

इसके बाद पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था. इसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए. इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था. 
 
सर्वे होगा कैसे?

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- अदालत के आदेश पर अब ASI की टीम मस्जिद परिसर का सर्वे कर रही है. हालांकि, ASI उस वजूखाने का सर्वे नहीं करेगी, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था.

- हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि इस सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा. 

- हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर के अंदर जो बीच का गुम्बद है, उसके नीचे की जमीन से धपधप की आवाज आती है. ऐसा दावा है कि उसके नीचे मूर्ति हो सकती है, जिसे कृत्रिम दीवार बनाकर ढंक दिया गया है.

- हिंदू पक्ष के वकील का कहना है कि ASI की टीम पूरे मस्जिद परिसर का सर्वे करेगी. हालांकि, सील्ड एरिया का सर्वे नहीं किया जाएगा. 

वजूखाने का सर्वे क्यों नहीं?

- ज्ञानवापी मस्जिस परिसर के एडवोकेट कमीशन के सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था. 

- दरअसल, सर्वे के दौरान वजूखाने से शिवलिंग जैसी आकृति दिखी थी. हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग तो मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.

- अभी जो ASI की टीम सर्वे करेगी, वो इस वजूखाने और उसमें मिले कथित शिवलिंग का सर्वे नहीं करेगी. क्योंकि ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे एरिया को सील कर दिया गया है. 

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कितना टाइम लगेगा?

- वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि अयोध्या के राम मंदिर मामले में 2002 में ASI को सर्वे करने की अनुमति मिली थी. तब ASI ने तीन साल यानी 2005 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी.

- उनका कहना है कि ज्ञानवापी मामले में तीन से छह महीने का समय लग सकता है. क्योंकि अयोध्या की तरह इसके सर्वे का इलाका बहुत बड़ा नहीं है.

पर यहां विवाद क्या है?

- जिस तरह से अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद था, ठीक वैसा ही ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद भी है. स्कंद पुराण में उल्लेखित 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ को सबसे अहम माना जाता है. 

- 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट में याचिका दायर की.

- याचिका में दावा किया कि काशी विश्वनाथ का जो मूल मंदिर था, उसे 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनाया था. 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी. इस मस्जिद को बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया.

 

 

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