
हिमाचल प्रदेश में चुनाव नतीजे आए एक महीने हो गए. सरकार में आई कांग्रेस ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन कैबिनेट गठन नहीं हो पा रहा था.फाइनली कल हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट बन गई. कल सुबह 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. कहा जा रहा था मंत्रिमंडल पर एक राय नहीं बन पा रही. कई धड़े अपनी अपनी चलाना चाहते हैं. एक धड़ा हिमाचल कांग्रेस चीफ प्रतिभा सिंह का भी था. उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात भी अटकी हुई थी. कल विक्रमादित्य सिंह ने भी मंत्री पद की शपथ ली. विक्रमादित्य ने शिमला ग्रामीण से चुनाव जीता था. उनके अलावा पूर्व लोकसभा सदस्य और सोलन से सबसे पुराने विधायक धनी राम शांडिल, सिरमौर के शिलाई से छह बार के विधायक हर्षवर्धन चौहान,किन्नौर के पूर्व डिप्टी स्पीकर जगत सिंह नेगी, कांगड़ा के जवाली से चंदर कुमार,कुसुमपट्टी से विधायक अनिरुद्ध सिंह और जुब्बल-कोटखाई से चार बार के विधायक रोहित ठाकुर मंत्री बनाए गए हैं. तो क्या रहा सुख्खू की इस कैबिनेट गठन का फॉर्मूला और क्यों इस गठन में इतना वक्त लग गया? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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एक वक्त था अखबारों में वरुण गांधी की तस्वीर के साथ लिखा होता था 'बीजेपी के फायरब्रांड नेता वरुण गांधी'. राष्ट्रीय राजनीति में भविष्य देखा जाता था. लेकिन वक्त बदल चुका है. यूपी में बीजेपी जब 2017 चुनाव जीती, तब कम ही लोग सही लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनता देख रहे थे. पीएम मोदी की दोबारा सरकार बनी उन्नीस में. वरुण गांधी कैबिनेट में शामिल होंगे ये चर्चा थी. वो भी नहीं हुआ. अब साल 2023 है, तबसे अब तक बहुत कुछ बदल चुका है. खुद वरुण भी. पब्लिक रैलीज में बीजेपी के लिए बोलने के अलावा कम बोलने वाले वरुण अब मुखर हैं. ये मुखरता अलग है. मौके बेमौके पर अपनी ही सरकार को रुसवा कर रहे हैं. बेरोजगारी महंगाई और सांप्रदायिकता पर सवाल उठाते हैं. हालांकि बीजेपी के लिए गनीमत है कि वो ये सारे बयान किसी विशेष नाम से नहीं उठाते. न ही प्रधानमंत्री या सरकार के मंत्रियों का जिक्र करते हैं. लेकिन बाकी बीजेपी नेता हलकान जरूर हैं. वरुण गांधी के बयानों पर कोई मुंह नहीं खोलता. इन तीन चार सालों में बिगड़ क्या गया है ? क्यों बीजेपी में वरुण गांधी अंकमफ़रटेबल नजर आ रहे हैं जैसा उनके बयान कह रहे हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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राजनीतिक अस्थिरता कई समस्या लाती है. इंग्लैंड में समस्याओं ने राजनीतिक संकट खड़ा किया था. पाकिस्तान में पहले कौन सा संकट आया, कहना मुश्किल है. आर्थिक संकट या राजनीतिक. इमरान की सत्ता गई, शाहबाज मलिक प्रधानमंत्री बने. लेकिन आर्थिक हालात नहीं बदले. जिस वजह से इमरान कोसे जाते थे वो अब और बुरी हालत में है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की बात कर रही हूँ.अभी एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक पाकिस्तान के पास सिर्फ 5 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व बचा है जो पिछले आठ साल में सबसे कम है . कुछ दिन पहले पाकिस्तानी रिजर्व बैंक ने दो सौ पैंतालिस अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाया था जिससे फारेन रिजर्व अपने लोवेस्ट लेवल पर पहुँच गया है. साथ ही पाकिस्तानी रुपये में लगातार गिरावट हो रही है अभी पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू डॉलर के मुकाबले 227 रुपए हो गई है. दूसरी तरफ़ संकट ये है कि आईएमएफ भी पैसा देने को तैयार नहीं. इसको लेकर शहबाज शरीफ ने आई.एम.एफ चीफ क्रिस्टलिना जॉर्जीवा से फोन पर बात की है. उन्होनें IMF चीफ से अगली किस्त को लेकर , नए टैक्स की शर्त पर एक बार फिर विचार करने का अनुरोध किया है. पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन मिलना कितना आसान है और यहां से पाकिस्तान के नए लोन की राह में क्या मुश्किलें हो सकती हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.