
मणिपुर में हिंसा शुरू हुए 45 से ज्यादा दिन हो चुके हैं, लेकिन नफरत की आग आज भी राज्य में सुलग रही है. यहां हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, 10 हजार से ज्यादा लोगों के घर जलाए जा चुके हैं. हजारों लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. आलम ये है कि गुरुवार रात को भीड़ ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर भी फूंक डाला. जब आजतक केंद्रीय मंत्री के घर पहुंचा, तो वहां तबाही का मंजर नजर आया. जली हुई गाडियां, अधजली फाइलें और दीवारों पर धुएं की कालिख हालात बयां कर रही थीं.
हिंसक भीड़ को जो कुछ सामने दिखा उसे तबाह कर दिया. आग लगा दी. गाड़ी हो या अनाज की बोरियां. सब आग के हवाले कर दिया है. भीड़ ने ये हिंसा उस वक्त की जब घर में कोई भी मौजूद नहीं था. भीड़ ने घर पर पेट्रोल बम फेंके. भीड़ ने किताबें-फाइलें जला दी गईं. इन अधजली किताबों से अभी भी धुआं उठ रहा है. घर की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब एक हजार लोगों की भीड़ आई और उसने केंद्रीय मंत्री के घर पर हमला करना शुरू कर दिया. साथ ही कहा कि जब ये घटना हुई तब मंत्री के घर का कोई सदस्य मौजूद नहीं था, लेकिन सुरक्षाकर्मी मौजूद थे. हालांकि भीड़ ने सिक्योरिटी को निष्क्रिय कर दिया.
हालांकि इस घटना के बाद आरके रंजन सिंह ने कहा कि मैं स्तब्ध हूं. मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह फेल हो गया है. उन्होंने कहा कि मैं 3 मई (जब राज्य में जातीय संघर्ष शुरू हुआ) से शांति लाने और हिंसा रोकने की कोशिश कर रहा हूं. यह सब दो समुदायों के बीच गलतफहमी है. उन्होंने कहा कि अगर इसे धार्मिक एंगल से जोड़ा जाए तो मैं एक हिंदू हूं. हमलावर हिंदू थे. इसलिए, यह धार्मिक नहीं है. बल्कि भीड़ ने हिंसा की है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने शांति समिति का गठन किया है, प्रक्रिया जारी है. उन्होंने कहा कि वह घर मेरी अपनी मेहनत की कमाई से बना था. मैं भ्रष्ट नहीं हूं. इस शासन में कोई भी भ्रष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार सभी समुदायों से बात करेगी और कोई रास्ता निकालेगी.
सीएम ने की हिंसा की निंदा
मणिपुर के खमेनलोक इलाके में 9 लोगों के मारे जाने की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि दोषियों को पकड़ने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी और तलाशी अभियान जारी है. सिंह ने यह भी कहा कि उनकी सरकार राज्य की एकता और अखंडता की रक्षा करेगी और ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जो राज्य के लोगों के हितों के खिलाफ हो. उन्होंने कहा कि अपराधियों को पकड़ने के लिए अर्धसैनिक बलों और मणिपुर पुलिस की एक टीम ने कुरंगपत और येंगांगपोकपी सहित कई जगहों पर तलाशी अभियान चलाया है.
इससे पहले भी बीजेपी के मंत्री के घर को लगाई थी आग
बीते 14 जून को कुछ उपद्रवियों ने इंफाल वेस्ट के लाम्फेल क्षेत्र में राज्य मंत्री नेमचा किपगेन के घर को आग लगा दी थी. इससे पहले 13 जून को कांगपोकपी जिले में देर रात हिंसा भड़की थी. इसमें आधुनिक हथियारों से लैस उपद्रवियों की गोलीबारी और आगजनी में नौ लोग मारे गए, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. खबरों के मुताबिक, मैतेई समुदाय के लोगों ने कुकी समुदाय के गांव को घेर लिया और पूरे गांव में घंटो-गोलीबारी और आगजनी हुई. उपद्रवियों ने कई घरों को आग के हवाले कर दिया था.
क्यों हो रही है मणिपुर में हिंसा
बता दें कि मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. एक महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले झड़पें हुईं, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए.