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'मुस्लिम अगर मथुरा और काशी हमें दे दें तो....' मोहन भागवत के बयान पर बोले VHP नेता सुरेंद्र जैन

संघ प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है और उस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल कुछ दिन पहले उन्होंने कहा कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर नहीं खोज सकते. राम मंदिर आस्था का मामला था.

विश्व हिंदू परिषद के नेता सुरेंद्र जैन विश्व हिंदू परिषद के नेता सुरेंद्र जैन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

संघ प्रमुख मोहन भागवत के 'हर मस्जिद में मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं' वाले बयान पर हिंदू संगठनों की लगातार तीखी प्रतिक्रिया आ रही है. अब इस मामले में विश्व हिंदू परिषद के नेता सुरेंद्र जैन का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत में लाखों मंदिरों को तोड़ा और उन पर मस्जिद बनाई.

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मीडिया से बात करते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा, '1984 में भारत के संतो ने मुस्लिम समाज को बहुत अच्छा ऑफर दिया था कि आप हमें केवल तीन दे दीजिए, अयोध्या, मथुरा और काशी.. हम लाखों को भूल जाएंगे. आज की परिस्थिति जो बनी है उसके लिए मुस्लिम नेतृत्व जिम्मेदार है. अयोध्या हमने लिया है वो लड़कर लिया है.यदि मुस्लिम उस समय आगे आए होते तो ये तीनों स्थान हमारे होते, ये विषय ही नहीं आता है.  बांकी दो बचे हैं, मुझे लगता है कि यदि वो दो दे देते हैं तो हम फिर समाज के जागृत वर्ग को भी समझा सकेंगे, कि हर जगह पर ये काम नहीं किया जा सकता है.'

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बताया कैसे बनेगा सद्भाव

मोहन भागवत के बयान पर उन्होंने कहा,  'भागवत जी ने जो कहा है, वो ठीक ही कहा है लेकिन वो सबके लिए कहा है. यदि कहीं पर कोई मामला कोर्ट में चल रहा है तो उसको निर्णय कोर्ट से होने दीजिए ना. धमकियां देंगे क्या? सड़कों पर उतरेंगे, सर तन से जुदा के नारे लगाएंगे? ये कौन सा तरीका है. न्यायपालिका का सम्मान करिए. संतों द्वारा मोहन भागवत के बयान के विरोध पर सुरेंद्र जैन ने कहा, 'उन्होंने अपनी भावना जाहिर की है. उनके बयान से साफ है कि हिंदू समाज रूकने वाला नहीं है. इसलिए मुस्लिम समाज के सामने अभी भी अवसर है कि मथुरा- काशी हवाले कर दे. हिंदू समाज  सद्भाव और सौहार्द के लिए एक बार रूक सकता है.'

मंदिरों के अभियान चलाएगा विश्व हिंदू परिषद

मंदिरों के नियंत्रण को लेकर सरकार के रूख पर जैन ने कहा, 'भारत के अंदर कोई मस्जिद या चर्च ऐसा नहीं है जो सरकार के नियंत्रण में हो. जब मुस्लिम, ईसाई जैसे अल्पसंख्यक अपने धर्मस्थलों को चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं. अकेले तमिलनाडु में 400 से अधिक मंदिर अधिग्रहित किए जा चुके हैं. सरकार के कब्जे में है. संविधान का उल्लंघन है ऐसा, तीन बार सुप्रीम कोर्ट भी निर्णय दे चुकी है कि मंदिरों की संपत्तियों के संचालन से सरकार का कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए. मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग होता है.ऐसे काम के लिए उन पैसों का इस्तेमाल होता है जिसके लिए भक्तों ने वो दान दिया ही नहीं होता है. कई उदाहरण इससे जुड़े हैं. विश्व हिंदू परिषद बहुत जल्द पूरे देश में मंदिर मुक्ति के लिए एक राष्ट्रीय अभियान चलाने वाला है.'

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