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Vice President Election: राष्ट्रपति से कितना अलग होता है उपराष्ट्रपति चुनाव? वोटों की गिनती कैसे होती है? जानें सबकुछ

Vice President Election: देश में 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होंगे. इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वोटिंग करते हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती की प्रक्रिया बेहद अलग होती है.

उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. (फाइल फोटो) उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. (फाइल फोटो)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 7:24 AM IST
  • लोकसभा-राज्यसभा के सदस्य करते हैं वोटिंग
  • एक सदस्य एक ही बार वोट कर सकता है
  • हर सदस्य को प्राथमिकता बतानी होती है

देश को जुलाई में नए राष्ट्रपति और अगस्त में नए उपराष्ट्रपति मिल जाएंगे. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति के चुनाव. उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे उसी दिन आ जाएंगे. मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है. 

भारत में उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. अगर किसी वजह से राष्ट्रपति का पद खाली होता है, तो ऐसे में उपराष्ट्रपति ही इसकी जिम्मेदारी भी संभालते हैं. उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति से नीचे लेकिन प्रधानमंत्री से ऊपर होते हैं. 

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उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हिस्सा लेते हैं. इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं. जबकि, राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा सांसद और सभी राज्यों की विधानसभा के विधायक वोटिंग करते हैं. 

उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है. उसकी उम्र 35 साल से ज्यादा होनी चाहिए और वो राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की सारी योग्यताओं को पूरा करता हो. उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 15 हजार रुपये भी जमा कराने होते हैं. ये जमानत राशि की तरह होते हैं. चुनाव हार जाने पर या 1/6 वोट नहीं मिलने पर ये राशि जमा हो जाती है. 

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उपराष्ट्रपति चुनाव में कैसे होती है वोटिंग?

- उपराष्ट्रपति चुनाव में इस बार 788 सदस्य वोट डालेंगे. इनमें राज्यसभा के 245 और लोकसभा के 543 सांसद हिस्सा लेंगे. राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनित सांसद भी हैं.

- उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है. इसमें वोटिंग खास तरह से होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं. 

- वोटिंग के दौरान वोटर को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. बैलेट पेपर पर वोटर को पहली पसंद को 1, दूसरी को 2 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है.

- इसे ऐसे समझिए कि अगर A, B और C उपराष्ट्रपति चुनाव में खड़े हैं, तो वोटर को हर किसी के नाम के आगे अपनी पहली पसंद बतानी होगी. मसलन, वोटर को A के आगे 1, B के आगे 2 और C के आगे 3 लिखना होगा. 

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वोटों की गिनती कैसे होती है?

- उपराष्ट्रपति चुनाव का एक कोटा तय होता है. जितने सदस्य वोट डालते हैं, उसकी संख्या को दो से भाग देते हैं और फिर उसमें 1 जोड़ देते हैं. मान लीजिए कि चुनाव में 787 सदस्यों ने वोट डाले, तो इसे 2 से भाग देने पर 393.50 आता है. इसमें 0.50 को गिना नहीं जाता, इसलिए ये संख्या 393 हुई. अब इसमें 1 जोड़ने पर 394 होता है. चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है.

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- वोटिंग खत्म होने के बाद पहले राउंड की गिनती होती है. इसमें सबसे पहले ये देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं. अगर पहली गिनती में ही किसी उम्मीदवार को जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है.

- अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर से गिनती होती है. इस बार उस उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है, जिसे सबसे कम वोट मिले होते हैं. लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में देखा जाता है कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है. फिर उसकी प्राथमिकता वाले ये वोट दूसरे उम्मीदवार में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.

- इन सारे वोटों के मिल जाने से अगर किसी उम्मीदवार के जरूरी कोटे या उससे ज्यादा वोट हो जाते हैं, तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. लेकिन दूसरे राउंड में भी अगर कोई विजेता नहीं बन पाता, तो फिर से वही प्रक्रिया दोहराई जाती है. ये प्रक्रिया तब तक होती है, जब तक कोई एक उम्मीदवार न जीत जाए.

 

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