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लोन फ्रॉड केस: Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत ने उठाए सवाल, कहा- जांच में सहयोग के लिए आया था, क्यों किया गिरफ्तार?

बैंक लोन फ्रॉड केस में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल को सोमवार को गिरफ्तार किया. इस फ्रॉड लोन मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है. पिछले हफ्ते ICICI बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था.

Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत गिरफ्तार (फाइल फोटो) Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत गिरफ्तार (फाइल फोटो)
विद्या
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST

मुंबई की एक अदालत ने बैंक लोन फ्रॉड केस में  Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत को 28 दिसंबर तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया है. धूत के अलावा मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की भी रिमांड तीन दिनों तक बढ़ा दी है.

इस मामले में सीबीआई की ओर से पेश विशेष अभियोजक ए लिमोसिन ने जांच को आगे बढ़ाने के लिए तीन दिनों की हिरासत की मांग की थी. उन्होंने अदालत के समक्ष कहा था कि जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की अगुवाई कर रही थी, उस समय बैंक ने छह लोन लिए थे, जिनकी जांच की जा रही है. आईसीआईसीआई बैंक को 2009 से 2011 के बीच 1,720 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इसलिए हमने और तीन दिनों के लिए हिरासत बढ़ाने की मांग की है. 

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इस पर सीबीआई के विशेष जज एएस सैयद ने पूछा की किस आधार पर?  इस पर लिमोसिन ने कहा कि धूत वीडियोकॉन के चेयरमैन हैं और उन्हें आज सुबह 10.30 बजे गिरफ्तार किया गया. धूत को फायदा पहुंचा था. वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. उन्हें समन किया गया था लेकिन वह पेश नहीं हुए. आज सुबह जब वह आए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. हमें कोचर दंपति के सामने धूत से बात करने की जरूरत है. बता दें कि इस मामले में धूत के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 की धारा जोड़ी गई. 

धूत और कोचर दंपति ने अदालत को बताया कि वीडियोकॉन को दिए गए लोन का भुगतान कर दिया गया था. 

धूत की ओर से पेश अधिवक्ता एस लाढा ने कहा कि धूत का औरंगाबाद में मेडिकल इलाज चल रहा था. उन्होंने कहा कि यह दर्शाने के लिए धूत शहर से बाहर थे और उसके बाद सीधे सीबीआई ऑफिस गए. हमने प्लेन का टिकट अटैच किया है. मेरे मुवक्किल की उम्र 70 साल से अधिक है और उनके देश छोड़कर फरार होने की संभावना नहीं है. वह पहले ही अपना पासपोर्ट सरेंडर कर चुके हैं. वह बयान दर्ज कराने आए थे, ऐसे में उन्हें गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था. 

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क्या है मामला?

2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक द्वारा लोन दिया गया था. जो बाद में एनपीए हो गया और बाद में इसे "बैंक फ्रॉड" कहा गया. सितंबर 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था. दरअसल, 2012 में, चंदा कोचर के नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का लोन दिया और छह महीने बाद वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली मेसर्स सुप्रीम एनर्जी ने मैसर्स न्यूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ का लोन दिया, जिसमें दीपक कोचर की 50% हिस्सेदारी है.

ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था. इसमें दावा है कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी 'नूपावर' में अपना पैसा निवेश किया. 

वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाने का आरोप

आरोप है कि इस तरह चंदा कोचर ने अपने पति की कंपनी के लिए वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाया. साल 2018 में यह खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था. सीबीआई ने पहले फरवरी, 2018 में इस मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी.

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साल 2019 में आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आई. समिति ने अपनी जांच में पाया कि वीडियोकोन को कर्ज देने के मामले में कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया है. कोचर की स्वीकृति पर इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक की मालिकाना हक वाली कंपनी को दिया गया.
 

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