Advertisement

ग्रेनेड, मशीन गन और राइफल... मणिपुर में 4 दिन के अंदर दूसरी बार मिला हथियारों का जखीरा

यह सर्च ऑपरेशन एसओजी के सहयोग से 19 सितंबर को चलाया गया. इसके अगले ही दिन एसओजी ने ऑपरेशन का खुलासा कर दिया. एसओजी की तरफ से बताया गया कि असम राइफल्स ने वॉर लाइक स्टोर्स की उपस्थिति की सूचना मिलने पर खुफिया जानकारी के आधार पर छापामार कार्रवाई की.

हथियारों का जखीरा. हथियारों का जखीरा.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

मणिपुर में कुकी और मैतैई समुदायों का विवाद जारी है. इस बीच  असम राइफल्स ने मणिपुर के थौबल जिले के हाओखोंग की तलहटी से हैंड ग्रेनेड और कार्बाइन सहित ऐसे हथियार बरामद किए हैं, जिनका इस्तेमाल जंग के समय किया जाता है. तलहटी से एक 9 मिमी कार्बाइन मशीन गन, एक सिंगल बैरल राइफल, तीन हैंड ग्रेनेड और कई दूसरे हथियार मिले हैं.

Advertisement

यह सर्च ऑपरेशन एसओजी के सहयोग से 19 सितंबर को चलाया गया. इसके अगले ही दिन एसओजी ने ऑपरेशन का खुलासा कर दिया. एसओजी की तरफ से बताया गया कि असम राइफल्स ने वॉर लाइक स्टोर्स की उपस्थिति की सूचना मिलने पर खुफिया जानकारी के आधार पर छापामार कार्रवाई की. इसके लिए बकायदा असम राइफल्स और स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) की एक संयुक्त टीम बनाई गई. सूचना के आधार पर थौबल के सामान्य क्षेत्र हाओखोंग में यह तलाशी अभियान चलाया गया.

पहले भी बरामद हुए हैं हथियार

बता दें कि पहाड़ी राज्य में 3 मई से हिंसा जारी है. इससे पहले सेना, असम राइफल्स, सीएपीएफ और मणिपुर पुलिस की एक संयुक्त टीम ने खुफिया सूचना पर चुराचांदपुर के ग्राम खोडांग में एक अभियान चलाया था. सुरक्षाबलों ने यहां भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और युद्ध जैसे भंडार बरामद किया था. जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों ने 14 इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार, 01 सिंगल बैरल हथियार और 15 अन्य हथियार बरामद किए गए.

Advertisement

असम राइफल्स ने लिया था एक्शन

थौबल में भी इसी तरह के एक ऑपरेशन में असम राइफल्स और थौबल पुलिस की एक संयुक्त टीम ने 15 सितंबर को क्वारोक मारिंग में एक तलाशी अभियान शुरू किया था. संदिग्ध स्थान की व्यापक तलाशी के दौरान टीमों ने एक 9 मिमी कार्बाइन और अन्य युद्ध जैसे भंडार बरामद किए थे. बरामद सामान पुलिस को सौंप दिया गया था.

3 मई को शुरू हुई थी जातीय हिंसा

दरअसल, मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं थीं. हिंसा में अब तक 150 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. बता दें कि मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

(रिपोर्ट: बेबी शिरीन)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement