
पटरी पर नहीं अब पानी पर भी मेट्रो दौड़ेगी. सुनने में अजीब है, लेकिन यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है. ये साकार होने जा रहा है केरल में. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को पहली वाटर मेट्रो की सौगात देने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 अप्रैल को केरल के कोच्चि शहर में देश की पहली वाटर मेट्रो का उद्घाटन करेंगे.
वाटर मेट्रो के परिचालन से जुड़ी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इसके लिए 14 टर्मिनल बनाए गए हैं. इसके लिए 23 वाटर बोट्स तैयार की गई हैं. शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए मेट्रो सिस्टम के अलग-अलग रूप का किस तरह से लाभ उठाया जा रहा है? वाटर मेट्रो को सरकार इस बात का उदाहरण बता रही है.
वाटर मेट्रो को केरल के कोच्चि जैसे तटीय शहरों के लिहाज से आवागमन का बेहतर और उपयोगी साधन बताया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि वाटर मेट्रो के सफर में भी पारंपरिक मेट्रो की तरह ही यात्रा का अनुभव हो, इसका भी खास ध्यान रखा गया है. सरकार बेहतर कनेक्टिविटी के लिए मेट्रो के विस्तार पर जोर दे रही है.
केरल के कोच्चि में शुरू होने जा रही वाटर मेट्रो सेवा के अलावा सरकार की योजना मेट्रो लाइट, मेट्रो नियो और रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का उपयोग करने की भी है.
मेट्रो लाइट
मेट्रो लाइट एक लो कास्ट मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है. मेट्रो लाइट भी परंपरागत मेट्रो की ही तरह सफर के दौरान आराम, समय की पाबंद और पर्यावरण के अनुकूल बताई जाती है. ये 15000 तक ट्रैफिक वाले टियर-2 और छोटे शहरों में यातायात की समस्या के समाधान के लिए कम लागत में बेहतर समाधान मानी जाती है. मेट्रो लाइट पर परंपरागत मेट्रो की तुलना में देखें तो 60 फीसदी कम लागत आती है. जम्मू, श्रीनगर और गोरखपुर जैसे शहरों में इसे शुरू करने की योजना बनाई जा रही है.
मेट्रो नियो
मेट्रो नियो में रोड स्लैब पर चलने वाले ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम से संचालित रबर टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच होते हैं. मेट्रो नियो भी यात्रा के लिए आरामदेह होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल होती है. मेट्रो नियो देखने में एक इलेक्ट्रिक बस ट्रॉली जैसी दिखती है. इसके परिचालन के लिए किसी मानक गेज ट्रैक की जरूरत नहीं होती. महाराष्ट्र के नासिक शहर में मेट्रो नियो शुरू करने की योजना है.
रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम
देश में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम को लेकर भी काम चल रहा है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर के तहत आने वाले दो शहरों, दिल्ली और मेरठ को जोड़ने के लिए रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरुआत होनी है. इस परियोजना को क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक बड़ा क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी कदम के रूप में भी देखा जा रहा है.