
भारत के लोकप्रिय पर्यटन द्वीप समूह लक्षद्वीप में जल्द ही मालदीव की तरह प्रीमियम जलमहलों (Water Villas in Lakshadweep) का निर्माण किया जाएगा. दावा किया जा रहा है कि देश में यह पहले प्रीमियम जलमहल होंगे. मिली जानकारी के मुताबिक, लक्षद्वीप के मिनीकॉय, कडमट और सुहेली द्वीपों पर इन तीन जलमहल परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा. इसकी लागत करीब 800 करोड़ रुपये होगी, जिसमें कुल 370 प्रीमियम जलमहलों (Water Villas in Lakshadweep) का निर्माण होगा. हालांकि, लक्षद्वीप प्रशासन की इस योजना का विरोध भी हो रहा है.
वैज्ञानिक, विपक्षी नेताओं द्वारा इसपर सवाल उठाए जा रहे हैं. खबरों के मुताबिक, जनवरी 2020 में 114 वैज्ञानिकों ने कहा था कि लक्षद्वीप द्वीप समूह पर इस तरह के प्रोजेक्ट खतरा पैदा कर सकते हैं. फिर इसी साल जून में भी कुछ वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा था कि लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन, 2021 को वापस लिया जाए. यह प्रशासन को किसी भी भूमि को विकास कार्य के लिए लेने की शक्ति देता है.
इसके साथ-साथ सीपीआई (M) के नेता और राज्यसभा सांसद इलामाराम करीम का दावा है कि इस प्रोजेक्ट की तैयारी से पहले लक्षद्वीप के स्थानीय नेताओं की राय नहीं ली गई.
प्रीमियम जलमहलों के लिए विभिन्न विभागों से क्लीयरेंस मिला
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, प्रशासन की तरफ से प्रीमियम जलमहलों (Water Villas in Lakshadweep) के निर्माण के लिए ग्लोबल टेंडर लाया गया है. कहा गया है कि इनके निर्माण में अपनाया गया वैज्ञानिक दृष्टिकोण पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और लोगों की आजीविका के अवसरों की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाए रखने को सुनिश्चित करेगा.
बताया गया है कि लक्षद्वीप के मिनीकॉय (150 कीज, 319 करोड़), कडमट (110 कीज, 240 करोड़) और सुहेली (110 कीज, 247 करोड़) द्वीपों पर काम होना है. प्रीमियम जलमहलों के निर्माण के लिए अलग-अलग विभागों से क्लीयरेंस भी लिया जा चुका है.