Advertisement

वायनाड हादसाः 'मम्मी-पापा कीचड़ में फंसे हैं आ जाएंगे...', पांच साल की पोती को रोज यही उम्मीद देते हैं अब्दुल अजीज

अब्दुल अज़ीज़ और उनके परिवार ने अपनी बेटी, दामाद और पोते सहित अपने परिवार के 11 सदस्यों को खो दिया है. इस आपदा में केवल उनका 16 वर्षीय पोता और 5 वर्षीय पोती जीवित बची है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की शादी पुंचिरीमट्टम में कूलियोडन परिवार में हुई थी.

वायनाड में हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन वायनाड में हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन
शिबिमोल
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:11 PM IST

वायनाड में आए भूस्खलन से जो जनहानि हुई है, उसकी भरपाई होना मुनासिब ही नहीं है. यहां मरने वालों का आंकड़ा कोई 10, 20 या 50 नहीं है, बल्कि सरकारी रिकॉर्ड में ये संख्या 250 से अधिक है, कई लापता हैं, जिनकी अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है और जो राहत शिविर में हैं, वह अपने बिछड़े हुए परिवार और परिजनों को याद करके रो देते हैं. कुल मिलाकर हादसे के बाद तबाही के जो जख्म हैं, वह वक्त के साथ सूख भी जाएंगे लेकिन उनके निशान हमेशा हरे रहेंगे. वो कभी नहीं भरेंगे. ऐसा ही एक जख्म अब्दुल अजीज को मिला है. 

Advertisement

अब्दुल अज़ीज़ और उनके परिवार ने अपनी बेटी, दामाद और पोते सहित अपने परिवार के 11 सदस्यों को खो दिया है. इस आपदा में केवल उनका 16 वर्षीय पोता और 5 वर्षीय पोती जीवित बची है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की शादी पुंचिरीमट्टम में कूलियोडन परिवार में हुई थी. परिवार के मुखिया मोहम्मद, उनकी पत्नी, उनके बड़े बेटे, पत्नी, छोटे बेटे और पत्नी और पोते-पोतियों और परिवार के अन्य सदस्यों की इस त्रासदी में जान चली गई. परिवार में केवल 3 लोग जीवित हैं. मोहम्मद का 16 साल का पोता, 5 साल की पोती और एक रिश्तेदार अस्पताल में भर्ती हैं.

अब्दुल अजीज ने अपनी बेटी के परिवार द्वारा लिए गए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय के बारे में बताया. वह सभी पुंचिरीमट्टम में रहते थे. पुंचिरिमट्टम को प्रभावित करने वाली भारी बारिश के डर से, वे मुंडक्कई शहर में अपने क्वार्टर में चले गए. पुंचिरीमट्टम में उनका घर भूस्खलन से प्रभावित नहीं हुआ लेकिन इस त्रासदी में क्वार्टर ही बह गया. 
जो तीन बच गए वे सभी कीचड़ में लथपथ पड़े थे, उन्हें राहत कर्मियों ने बचाया था. 5 साल की लड़की जानती है कि उसके माता-पिता और भाई-बहन मिट्टी में दबे हुए हैं. उसे अभी भी अपने माता-पिता की मृत्यु की खबर के बारे में पता नहीं है. 

Advertisement

अब्दुल अजीज बताते हैं कि भारी बारिश के कारण जिस घर को छोड़कर आए थे, वह तो सुरक्षित है, लेकिन जहां ये उम्मीद लेकर आए थे कि सुरक्षित रहेंगे तो वहीं सब लुट गया. घर भी और परिवार भी. अब अब्दुल अजीज की आंखों के आंसू सूख चुके हैं और अब उनकी बस एक चिंता है कि पांच साल की पोती को वह कैसे समझाएंगे कि अब उसके माता-पिता नहीं रहे. हालांकि बच्ची को इस भीषण आपदा और अनहोनी के बारे में पता है, लेकिन वह अभी यही समझती है कि उसके माता-पिता खो गए हैं. वह इस उम्मीद में है कि जैसे कीचड़ से उसे बचा लिया गया, राहत कर्मी मम्मी-पापा को भी ले आएंगे.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement