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प्रियंका गांधी कांग्रेस की तरफ से वायनाड संसदीय सीट से यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की उम्मीदवार घोषित की गई हैं. इस सीट का कांग्रेस से एक गहरा नाता है और यह उम्मीद है कि उनकी उम्मीदवारी से कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल होगी. यह संसदीय सीट 2009 में अस्तित्व में आई और तब से यह कांग्रेस का गढ़ बनी हुई है.
वायनाड संसदीय क्षेत्र तीन जिलों- वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड में फैली है. इसमें कुल सात विधानसभा क्षेत्र - कलपेट्टा, सुल्तान बथरी, मनंथवडी (वायनाड), तिरुवम्बडी (कोझिकोड), एरणाड, वंडूर और नीलांबुर (मलप्पुरम) शामिल हैं.
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वायनाड संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटें
वायनाड जिले में कलपेट्टा और सुल्तान बथरी कांग्रेस के मजबूत गढ़ हैं, जबकि मनंथवडी में पिछले दो कार्यकाल से सीपीआईएम के ओआर केलू विधायक हैं. कोझिकोड के तिरुवम्बडी में अभी सीपीआईएम का कब्जा है, हालांकि यह कभी कांग्रेस का गढ़ था.
एरणाड, जो 2011 में अस्तित्व में आया, और इस सीट को भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) का गढ़ माना जाता है. नीलांबुर में एलडीएफ समर्थित पीवी अनवर वर्तमान विधायक हैं, लेकिन यहां कांग्रेस का प्रभाव आज भी बरकरार है. वंडूर कांग्रेस के एपी अनिल कुमार का गढ़ है, जो 2001 से जीत रहे हैं.
प्रियंका के जरिए कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
प्रियंका गांधी वाड्रा की उम्मीदवारी के पीछे कांग्रेस की यह उम्मीद है कि उनकी लोकप्रियता और प्रभावशाली व्यक्तित्व से वायनाड में कांग्रेस को बेहतर परिणाम मिलेगा. हालांकि, उन्हें सीपीआईएम और अन्य क्षेत्रीय दलों से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है. कांग्रेस का मानना है कि प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी से उन्हें आत्मीयता और विश्वास मिलेगा, जिससे वे इस बार पहले से भी अधिक मत से जीत हासिल करेगी.
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वायनाड में प्रियंका गांधी वाड्रा की उम्मीदवारी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है. खासकर तब जबकि पार्टी को देशभर में अन्य राजनीतिक अस्थिरताओं का सामना करना पड़ रहा है. माना जाता है कि कांग्रेस द्वारा प्रियंका गांधी पर जताए गए भरोसे से यह उम्मीद जागती है कि वायनाड की जनता का समर्थन उन्हें मिलेगा और कांग्रेस अपनी पकड़ को और मजबूत कर पाएगी.