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उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी होने से देश के मैदानी इलाके भी शीतलहर की चपेट में हैं. मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में अगले 2 दिनों के लिए शीतलहर का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. वहीं, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश और रायलसीमा में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है.
दिल्ली का मौसम
देश की राजधानी के मौसम की बात करें तो दिल्ली में कोहरे और शीतलहर का डबल अटैक देखने को मिल रहा है. पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाली ठंडी हवाओं के कारण दिल्ली में कंपकंपी वाली ठंड महसूस की जा रही है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में सुबह और रात के समय घना कोहरा देखने को मिल रहा है.
मौसम विभाग (IMD) की मानें तो दिल्ली में आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ने के आसार हैं. IMD के मुताबिक, इस पूरे हफ्ते दिल्ली का अधिकतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है और न्यूनतम तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है.
देश के मौसम का हाल
मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक, अगले 2 दिनों के दौरान तटीय तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है. वहीं, रायलसीमा और आंतरिक तमिलनाडु में भी हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है.
इसके अलावा 24 घंटों के बाद तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा के दक्षिणी तटों पर बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं. 19 और 20 दिसंबर को दक्षिण छत्तीसगढ़, आंतरिक ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के पूर्वी हिस्सों में हल्की वर्षा की गतिविधियां संभव हैं. वहीं, अगले 2 दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के न्यूनतम तापमानों में हल्की वृद्धि हो सकती है. इसके बाद तापमान में फिर से गिरावट आने की संभावना है.
देश की मौसमी गतिविधियां
मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. इसके साथ चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic Circulation) समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है. यह प्रणाली अगले 2 दिनों में अधिक प्रभावी होकर पश्चिम-उत्तर पश्चिम दिशा में तमिलनाडु तट की ओर बढ़ सकती है.
वहीं, दक्षिण-पूर्व अरब सागर और आसपास के लक्षद्वीप क्षेत्र के ऊपर भी एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है. इसके अलावा केंद्रीय पाकिस्तान और जम्मू डिवीजन के पास बने चक्रवाती परिसंचरण का असर अब उत्तर-पश्चिम राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों पर एक प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण (Induced Cyclonic Circulation) के रूप में देखा जा रहा है.