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बंगाल: ममता के मंत्री-MLA के घरों समेत 15 ठिकानों पर CBI के ताबड़तोड़ छापे, नगर पालिका भर्ती घोटाले में एक्शन

सीबीआई पश्चिम बंगाल में नगर निकायों द्वारा की गई भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है. इसी को लेकर बंगाल सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम और कमरहाटी से विधायक मदन मित्रा के घरों समेत 15 ठिकानों पर रविवार की सुबह छापेमारी की है.

बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम और विधायक मदन मित्रा (फाइल फोटो) बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम और विधायक मदन मित्रा (फाइल फोटो)
राजेश साहा/ऋतिक
  • कोलकाता,
  • 08 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST

पश्चिम बंगाल में सीबीआई ने रविवार को नगर पालिका भर्ती घोटाला मामले में कोलकाता के मेयर और टीएमसी नेता फिरहाद हकीम और टीएमसी विधायक मदन मित्रा के घरों समेत 15 जगहों पर छापेमारी की. सीबीआई की एक टीम आज सुबह हकीम के दक्षिण कोलकाता स्थित आवास पर पहुंची और तलाशी अभियान जारी है.  

ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले मंत्री फिरहाद हकीम शहरी विकास और नगर पालिका मामलों के मंत्री हैं, उनका टीएमसी में अच्छा-खासा प्रभाव है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जैसे ही तलाशी शुरू हुई, हकीम के समर्थक उनके घर के बाहर जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.  

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सीबीआई पश्चिम बंगाल में नगर निकायों द्वारा की गई भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है. बंगाल सरकार में पूर्व मंत्री और उत्तर 24 परगना जिले के कमरहाटी के विधायक मदन मित्रा के घर पर भी सीबीआई ने छापा मारा.  

कोलकाता के अलावा सीबीआई उत्तर 24 परगना के हलीशहर और कांचरापाड़ा भी गई. सूत्रों ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों की एक टीम हालीशहर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन के घर गई. सीबीआई की चार सदस्यीय टीम तृणमूल नेता अंशुमन रॉय के घर भी गई. 

इसके अलावा सीबीआई ताकी नगर पालिका अध्यक्ष सोमनाथ मुखर्जी के घर पर भी गई. नगर निगम भर्ती मामले को लेकर पांच सदस्यीय सीबीआई टीम सोमनाथ मुखर्जी के आवास पर तलाशी ले रही है. 

इससे पहले हकीम और मदन मित्रा दोनों को 2021 में नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार किया गया था. मित्रा को 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था. 

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कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल बेंच ने इस साल 21 अप्रैल को सीबीआई को नगर निगम भर्ती घोटाला मामले की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया था. यह आदेश ईडी के एक आवेदन के आधार पर पारित किया गया था. हालांकि बंगाल सरकार ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के पास नगरपालिका मामलों की सुनवाई का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था. 

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