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CM ममता के विरोध के बीच बंगाल में CAA के तहत नागरिकता देने का सिलसिला शुरू

पश्चिम बंगाल में भी नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नागरिकता देने का सिलसिला शुरू हो गया है. यहां आवेदकों के एक सेट को नागरिकता सर्टिफिकेट सौंपी गई है. हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार सीएए के विरोध में रही हैं और यहां तक कह चुकी हैं कि वह सीएए को राज्य में लागू नहीं होने देंगी.

सीएए के तहत बंगाल में नागरिकता देने का सिलसिला शुरू सीएए के तहत बंगाल में नागरिकता देने का सिलसिला शुरू
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • कोलकाता,
  • 29 मई 2024,
  • अपडेटेड 9:15 PM IST

नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत पश्चिम बंगाल में भी नागरिकता देने का सिलसिला शुरू हो गया है. यह ऐसे समय में हुआ है जब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार सीएए का विरोध कर रही हैं. हरियाणा और उत्तराखंड की अधिकार प्राप्त समितियों ने भी आज मंगलवार को अपने-अपने राज्यों में आवेदकों के पहले सेट को नागरिकता सर्टिफिकेट सौंपी है.

नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियम जारी किए जाने के बाद आवेदकों के एक सेट को दिल्ली में भी नागरिकता सर्टिफिकेट सौंपी गई थी. केंद्रीय गृह सचिव ने 15 मई को विभिन्न देशों से आए शरणार्थियों के एक सेट को सर्टिफिकेट देकर भारत की नागरिकता दी थी. हालांकि, ममता बनर्जी लगातार सीएए का विरोध कर रही थीं.

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जब ममता ने कहा सीएए लागू नहीं होने देंगी

ममता बनर्जी ने अप्रैल महीने में अपने एक बयान में कहा था, "समान नागरिक संहिता स्वीकार्य नहीं है. मैं सभी धर्मों में सद्भाव चाहती हूं. आपकी सुरक्षा चाहती हूं." तब ईद के मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम ममता ने कहा था कि वह यूसीसी, एनआरसी और सीएए को लागू नहीं होने देंगी.

11 मार्च को जारी किए गए सीएए के नियम

भारत सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) नियम-2024 जारी किया था. नियमों में आवेदन पत्र के तरीके, जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा आवेदनों के प्रोसीजर और राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा जांच और नागरिकता प्रदान करने के नियम बनाए गए थे.

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ऑनलाइन पोर्टल से किया जाता है आवेदन

आवेदनों का प्रोसीजर पूरी तरह ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाता है. इन नियमों के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के ऐसे लोगों से आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो धर्म के आधार पर उत्पीड़न या ऐसे उत्पीड़न की डर से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर गए थे.

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