
भारतीय कुश्ती फेडरेशन और पहलवानों के बीच विवाद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. पहलवान रविवार को जंतर-मंतर पर जुटे और यहां उन्होंने ऐलान किया कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वह धरने से नहीं हटेंगे. ओलंपियन बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ कई पहलवान भी धरने में शामिल हुए और शोषण के खिलाफ न्याय की मांग दोहराई. उन्होंने कहा कि उनकी सुनी नहीं जा रही है और उनकी शिकायतों पर क्या एक्शन लिया जा रहा है, इस बारे में भी कई जानकारी नहीं दी जा रही है.
जंतर-मंतर क्यों बैठे हैं कुश्ती के दिग्गज?
कुश्ती के ये दिग्गज इतने आक्रोशित होकर जंतर-मंतर पर क्यों बैठे थे? वह किस न्याय की बात कर रहे हैं और किस तरह के आरोप किस शख्स पर लगा रहे हैं, ये जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलकर देखना होगा. बात है 18 जनवरी 2023 की. नए साल की शुरुआत हुए कुछ ही दिन बीते थे कि कुश्ती संघ और पहलवानों का ये विवाद सामने आया था. जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक समेत कई दिग्गज पहलवान इकट्ठा हुए थे. उस दिन भी शाम 4 बजे कुश्ती खिलाड़ियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके WIF अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुश्ती संघ के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. पहले नजर डालते हैं कि आरोप क्या थे.
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पहला आरोप: यौन शोषण
रेसलर विनेश फोगाट ने आरोप लगाया था कि महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण किया जाता है. उन्होंने कहा था, 'मैं खुद महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के 10-20 केसों के बारे में जानती हूं." उन्होंने कोच और रेफरी पर भी आरोप लगाए. फोगाट ने आगे कहा- 'जब हाई कोर्ट हमें निर्देश देगा तब हम सभी सबूत पेश करेंगे. हम पीएम को भी सभी सबूत सौंपने को तैयार हैं. जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती हम धरने पर बैठेंगे. किसी भी इवेंट में कोई एथलीट हिस्सा नहीं लेगा.' इस दौरान विनेश रोती हुईं भी दिखी थीं.
दूसरा आरोप: सिर्फ लखनऊ में कैंप क्यों लगता है?
कुश्ती खिलाड़ियों का आरोप है कि वो भारत का नाम रोशन करके दुनिया में आते हैं, लेकिन देश में ही भारतीय कुश्ती संघ की तानाशाही के आगे उन्हें अपमानित होना पड़ता है. एक और भारतीय पहलवान ने कहा था कि 'जबसे अध्यक्ष जी हैं, लखनऊ में ही कैंप क्यों लगता है.'
तीसरा आरोप: अपशब्दों का प्रयोग, गाली भी दी
पहलवानों का आरोप था कि रेसलर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने अपशब्दों का प्रयोग किया था और खिलाड़ियों को गाली भी दी गई थी. पहलवानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, हम यहां खेलने आए हैं. वो विशेष रूप से खिलाड़ी और राज्य को टारगेट कर रहे हैं.
चौथा आरोप: मेंटली टॉर्चर किया गया
विनेश फोगाट का कहना था कि घायल होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. नेशनल ना खेलने की बात करते हैं. विनेश ने रोते हुए कहा कि अध्यक्ष ने मुझे खोटा सिक्का बोला था. फेडरेशन ने मुझे मेंटली टॉर्चर किया. मैं इसके बाद सुसाइड करने की सोच रही थी. बजरंग पूनिया ने कहा था कि महासंघ द्वारा हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. फेडरेशन द्वारा एक दिन पहले ही नियम बना लिए जाते हैं. सारी भूमिका प्रेसिडेंट निभा रहे हैं. प्रेसिडेंट हमसे गाली-गलौज करते हैं. प्लेयर्स को थप्पड़ मार दिया था.
पांचवां आरोप: निजी जीवन में दखल, धमकी देना
फोगाट ने आगे कहा- वे (संघ) हमारे निजी जीवन में भी दखल देते हैं और हमें परेशान करते हैं. वे हमारा शोषण कर रहे हैं. जब हम ओलंपिक में गए थे तो हमारे पास फिजियो या कोच नहीं था. जंतर मंतर के पहलवानों का कहना है कि जब से हमने आवाज उठाई है, हमें धमकाया जा रहा है.
ब्रजभूषण सिंह का आरोपों पर क्या कहना था?
पहलवानों के इन आरोपों को ब्रजभूषण सिंह नकारते रहे हैं. उन्होंने जनवरी 2023 में कहा था कि, उनके खिलाफ प्लानिंग करके आरोप लगाए गए हैं. इस दौरान ब्रजभूषण ने एक और बात का इशारा किया था. उन्होंने कहा था कि 'एक भी खिलाड़ी ओलंपिक के बाद नेशनल नहीं लड़ा, ट्रायल के बाद भी फेवर चाहते हैं, ये चाहते हैं इनकी एक कुश्ती हो जाए, वजन तोड़ना पड़ता है. किसी विशेष के लिए कोई नियम नहीं होगा. मैं जांच के लिए तैयार हूं.
क्या बात इतनी ही है या और भी कुछ है?
कुश्ती संघ में जो विवाद बाहर दिख रहे हैं, वह आइस बर्ग की तरह के हैं. इस मामले के कुछ विवाद मैट से परे भी हैं. इ्से साल 2022 में आई एक खबर से समझा जा सकता है, जब WFI ने 2022 में निजी और गैर-सरकारी संगठनों को पहलवानों की मदद करने पर रोक लगा दी थी. WFI ने ऐलान किया था कि उसे ग़ैर सरकारी संस्थानों का हस्तक्षेप नहीं चाहिए और ये संस्थान अब पहलवानों की मदद WFI की अनुमति के बिना नहीं कर सकते हैं. लिहाजा, पहलवानों को मिलने वाली सुविधाएं जैसे मनपसंद विदेशी कोच, फिज़ियो और विदेशों में ट्रेनिंग मिलनी बंद हो चुकी थी. खिलाड़ियों को प्राइवेट स्पान्सरशिप मिलनी बंद हो गई थी. इस पूरे मामले में विवाद की एक जड़ 'क्रेडिट' भी है.
जब विनेश फोगाट पर लगे थे अनुशासन हीनता के आरोप
इस पूरे मामले को अगस्त 2021 में विनेश फोगाट से जुड़ी हुई एक खबर से भी देख सकते हैं, जब उन पर अनुशासनहीनत के आरोप लगे थे. भारतीय कुश्ती महासंघ ने विनेश फोगाट पर टोक्यो ओलंपिक के दौरान अनुशासनहीनता के आधार पर प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर रोक लगा दी थी. विनेश टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में हार कर बाहर हो गई थीं. विनेश ने अपने साथी खिलाड़ियों के साथ ठहरने से ही इनकार नहीं किया था, बल्कि टूर्नामेंट के दौरान उनके साथ ट्रेनिंग भी नहीं की थी. इसके साथ ही विनेश ने भारतीय दल के आधिकारिक प्रायोजक के बजाय निजी प्रायोजक के नाम का ‘सिंगलेट’ पहना था, जिससे WFI ने उन्हें निलंबित कर दिया था.
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कुश्ती संघ पर कई तरह की अनियमितता के भी आरोप
खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है कि कुश्ती संघ में ऐसे लोग हैं, जिन्हें इस खेल के बारे में नहीं पता है. कुश्ती संघ अध्यक्ष पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप भी है. खिलाड़ियों का आरोप है कि जब भी ट्रायल्स का आयोजन होता है, तो उसका दिन और समय अक्सर उनके हिसाब से तय होता है. नेशनल चैंपियनशिप बुनियादी सुविधाओं की कमी होती है. बृज भूषण शरण सिंह ने एक जूनियर पहलवान को सबके सामने थप्पड़ मार दिया था. इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए विदेश जाना हो, तो अंतिम समय तक टिकट और वीज़ा के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी खिलाड़ियों को नहीं दी जाती है.