
मॉनसून सत्र में कृषि से संबंधित 3 अध्यादेश लाने वाली मोदी सरकार को बड़ा झटका उस समय लगा जब केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. विपक्षी दलों की तरह बीजेपी की सहयोगी अकाली दल इस अध्यादेश का विरोध कर रही है
लोकसभा में गुरुवार को जब बिल पेश किया गया तो शिरोमणि अकाली दल के सांसद सुखबीर सिंह बादल ने विरोध किया. फिर केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, अकाली दल का सरकार को समर्थन जारी रहेगा. आइए, जानते हैं क्या है वो अध्यादेश, जिसके विरोध में मोदी कैबिनेट से हरसिमत कौर ने इस्तीफा दे दिया.
अध्यादेशों के विरोध में अपने इस्तीफे की जानकारी हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर दी. उन्होंने कहा, 'मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है.'
सरकार ने पेश किए थे 3 बिल
मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को सरकार की ओर से कृषि में सुधार के कार्यक्रमों को लागू करने और किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से लाए गए 3 विधेयक लोकसभा में पेश किए गए. ये तीनों विधेयक कोरोना काल में 5 जून, 2020 को अधिसूचित 3 अध्यादेशों का स्थान लेंगे.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 और किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश किया जबकि आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री राव साहेब पाटिल दानवे ने पेश किया था.
विधेयक के बारे में कृषि मंत्रालय की ओर से कहा गया कि किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है. इसके तहत किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित तरीके से खरीद-फरोख्त कर सकेंगे.
फसल बिक्री में पारदर्शिता आएगी
साथ ही वे एक राज्य से दूसरे राज्य तथा अपने राज्य के भीतर व्यापार, वाणिज्य और किसानों की उपज को बढ़ावा देने के लिए प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के जरिए किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे.
मंत्रालय ने कहा कि किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान किया गया है, जो किसानों को कृषि, व्यापारिक फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमत लाभदायक मूल्य ढांचे में भविष्य में होने वाले कृषि उत्पादों की बिक्री तथा इसने जुड़े मामलों या इसके आकस्मिक मामलों में जुड़ने के लिए किसानों को संरक्षण देगा और उनका सशक्तीकरण भी करता है.
दलहन की चीजें आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया है.
इन विधेयकों के बारे में सरकार की ओर से कहा गया कि इससे निजी निवेशकों को व्यापार में अत्यधिक नियामक हस्तक्षेपों की आशंका दूर हो जाएगी. साथ ही उत्पाद, उत्पाद सीमा, आवाजाही, वितरण और आपूर्ति की आजादी से बिक्री की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद मिलेगी और कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित होगा.
एमएसपी पर कोई असर नहीं- कृषि मंत्री
हालांकि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने अनुसूचित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मसले पर लोकसभा को आश्वस्त किया कि एमएसपी पर इससे कोई असर नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'मैं सरकार की ओर से यह कहना चाहता हूं कि एमएसपी है और एमएसपी रहेगी और इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.' उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को अपने उत्पादन का मूल्य तय करने और बेचने का स्थान तय करने और कैसे बेचेंगे, यह तय करने का अधिकार आज तक नहीं था. मैं समझता हूं कि इस अध्यादेश के माध्यम से यह आजादी पूरे देश (के किसानों) को मिलने वाली है.
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि इस अध्यादेश से एपीएमसी एक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. राज्य अगर चाहेगा तो मंडियां चलेंगी. मंडी की परिधि के बाहर जो ट्रेड होगा, उस पर नया कानून लागू होगा. उन्होंने यह भी कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की 201 सिफारिशों में से 200 सिफारिशों पर अमल किया है. रबी और खरीफ फसलों के लिए लागत पर 50 फीसदी मुनाफा के साथ एमएसपी दिया जा रहा है.
कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानून के संबंध में उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उनकी फसल बेचने की आजादी मिलेगी और व्यापारियों को लाइसेंस राज से मुक्ति मिलेगी, इस प्रकार भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा।
निवेश का रास्ता खुलेगाः कृषि मंत्री
संसद में कृषि सुधारों से जुड़े विधेयकों पर किसान संगठनों और विपक्षी दलों के लगातार विरोध और आशंकाओं को खारिज करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने साफतौर पर कहा कि इन कानूनी बदलावों से किसानों को उनकी फसल का न केवल सही दाम मिलेगा, बल्कि खेती के क्षेत्र में नई तकनीक और संसाधनों के निवेश का रास्ता खुलेगा. इसका सीधा लाभ किसानों को होगा.
हालांकि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत कई अन्य विपक्षी सांसदों का कहना है कि सुधारों के नाम पर लाए गए इन कानूनों के जरिए पूंजीपति और कंपनियां किसानों का दोहन करेंगी. राज्यों में किसानों का मंडी बाजार खत्म हो जाएगा. कांग्रेस सांसद अधीर ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है और इस मसले पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों को है. केंद्र का यह कदम संघीय व्यवस्था के खिलाफ है.