सिर्फ फॉग और मौसम हीं नहीं, फ्लाइट की लेटलतीफी के पीछे ये भी हैं कारण

हाल के दिनों में विमान सेवाओं की वजह से लोगों का काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. यह दिक्कतें केवल कोहरे या खराब मौसम के कारण नहीं आई हैं बल्कि इसके पीछे कई और भी वजहें हैं. दिक्कतों का यह सिलसिला सितंबर 2023 से लगातार बढ़ता गया है.

Advertisement
विमान कंपनिया बीते कई वर्षों से भारी घाटे में चल रही हैं विमान कंपनिया बीते कई वर्षों से भारी घाटे में चल रही हैं

सम्राट शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

बीते 13 जनवरी को मुंबई से गुवाहाटी जा रही IndiGo की फ्लाइट खराब मौसम की वजह से बांग्लादेश की राजधानी ढाका में डायवर्ट करनी पड़ी. फ्लाइट को गुवाहाटी में रात 11 बजे लैंड होना था लेकिन विपरीत मौसमी हालातों की वजह से यह सुबह 4 बजे ढाका पहुंच गई.

उड़ान भरने के करीब 12 घंटे बाद फ्लाइट आखिरकार गुवाहाटी में अपने गंतव्य पर पहुंची. इस दौरान यात्रियों को मुंबई हवाई अड्डे पर जमीन पर बैठे हुए और खाना खाते हुए देखा गया.  वहीं दूसरे मामले में उड़ान भरने में लगातार हो रही देरी से परेशान एक यात्री ने तो पायलट को ही मुक्का मार दिया. ये दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए.

Advertisement

बढ़ता गया घाटा

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यहां केवल दोष मौसम का ही है या फिर एविएशन इंडस्ट्री में कुछ और दिक्कत है? ऐसे समय में जब कोहरे की वजह से विमान सेवाओं के परिचालन में दिक्कत आई है, तो लगातार हो रही देरी और कैंसिलेशन की समस्या से यात्रियों की दिक्कतें भी बढ़ रही हैं. इंडिगो, एअर इंडिया, विस्तारा, एईएक्स कनेक्ट और स्पाइस जेट की सेवाएं बीते सिंतबर माह से अपने शेड्यूल पर खरी नहीं उतरी हैं, ये तब की बात है जब कोहरा शुरू भी नहीं हुआ था.

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2023 में इंडिगो उड़ानों का ऑन टाइम परफॉरमेंस 89 प्रतिशत था जो सितंबर में गिरकर 84 प्रतिशत, नवंबर में 78 प्रतिशत और 16 जनवरी, 2024 को 22 प्रतिशत हो गया. इसी तरह, एअर इंडिया का ऑन-टाइम परफॉरमेंस अगस्त 2023 में 81 प्रतिशत से गिरकर सितंबर में 74 प्रतिशत, नवंबर में 63 प्रतिशत और अब केवल 19 प्रतिशत रह गया है.

Advertisement

इंडिगो में बढ़ा संकट

एयरबस ए320 से ताल्लुक रखने वाले विमानों में उपयोग किए जाने वाले प्रैट एंड व्हिटनी जीटीएफ इंजन (जिसके इंजन इंडिगो संचालित करता है) को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. एयरलाइन ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि इस वजह से, इंडिगो ने पहले ही 45 विमानों को खड़ा कर दिया है और उसे मार्च तक 30 से अधिक विमान और खड़े हो सकते हैं.

स्टाफ की कमी
2023 में, एअर इंडिया ने आखिरी बार घोषणा की थी कि वह 900 पायलटों को नियुक्त करेगी. इनफ़्लाइट सर्विसेज के प्रमुख संदीप वर्मा ने कहा कि एयरलाइन अधिक पायलटों और रखरखाव इंजीनियरों की नियुक्ति बढ़ा रही है. एअर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने आगे कहा कि वह हर महीने 550 केबिन क्रू सदस्यों और 50 पायलटों को काम पर रख रहे हैं. एअर इंडिया ने 2022 में भी इसी तरह का आक्रामक भर्ती अभियान चलाया था.

आश्चर्यजनक रूप से इससे उद्योग के लिए समस्याएं पैदा हो गई हैं. जुलाई 2022 में, जिस दिन एअर इंडिया भर्ती कर रही थी, रिकॉर्ड संख्या में केबिन क्रू सदस्यों द्वारा सिक लीव लेने की वजह से बाद 900 से अधिक इंडिगो उड़ानों में देरी हुई. कथित तौर पर सिक लीव लेने वाले कर्मचारी उस दिन भर्ती अभियान में इंटरव्यू देने गए थे.

Advertisement

विमानन विशेषज्ञ पुलक सेन ने इंडिया टुडे को बताया कि पायलटों की दोबारा नियुक्ति और विमानों की ग्राउंडिंग से आपूर्ति संकट पैदा हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एयरलाइंस उड़ानों में देरी कर रही हैं और रद्द कर रही हैं. हालांकि एमआरओ एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संस्थापक और महासचिव सेन ने आश्वस्त करते हैं कि स्टाफ संकट अस्थायी है और अभी कई पायलटों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

गंभीर वित्तीय संकट
वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के दौरान विमानन उद्योग को कुल 173 अरब रुपये का नुकसान हुआ. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के मुताबिक, पिछले साल यह 217 अरब रुपये और उससे पिछले साल 170 अरब रुपये था.

विमान कंपनिया कई वर्षों से भारी घाटे में चल रही हैं. बीएसई के आंकड़ों से पता चला कि इंडिगो को वित्तीय वर्ष 2021-22 में 61.71 अरब रुपये और 2022-23 में 3.17 अरब रुपये का शुद्ध घाटा हुआ. स्पाइसजेट को भी दोनों वर्षों में क्रमशः 17.25 अरब रुपये और 15.03 अरब रुपये का शुद्ध घाटा हुआ. इसी अंतराल के दौरान एअर इंडिया को 95.91 अरब रुपये और 113.81 अरब रुपये का शुद्ध घाटा हुआ.

आईसीआरए में कॉर्पोरेट रेटिंग के सह-समूह प्रमुख और उपाध्यक्ष किंजल शाह ने इंडिया टुडे को बताया, "विमान कंपनियों का प्रॉफिट एविएशन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की कीमतों से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है, जो एक एयरलाइन की कुल लागत का 30-40 प्रतिशत है, और जिसमें अतीत में तेज अस्थिरता देखी गई है.' उन्होंने बताया कि एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव पर विमानन ईंधन की निर्भरता, एयरलाइंस की सीमित मूल्य निर्धारण शक्तिया और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार के कारण कंपनियों को नुकसान हुआ है.

Advertisement

इस बीच, डीजीसीए ने 15 जनवरी को एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी करते हुए कहा कि एयरलाइंस उन उड़ानों को पर्याप्त समय से पहले रद्द कर सकती हैं, जिनमें तीन घंटे से अधिक की देरी होने की संभावना है. अगर आपकी फ्लाइट 6 घंटे से ज्यादा लेट है तो इसकी जानकारी एयरलाइन कंपनी को यात्री को 24 घंटे पहले देनी होगी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement