
भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा. एनडीए ने जहां बीजेपी सांसद ओम बिरला को अपना उम्मीदवार चुना है, वहीं इंडिया ब्लॉक ने 8 बार के कांग्रेस सांसद के सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया है. अध्यक्ष पद के लिए चुनाव बुधवार सुबह 11 बजे होगा. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सिर्फ तीसरा मौका है, जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा. इससे पहले 1952 और 1976 में चुनाव के जरिए स्पीकर पद का फैसला हुआ था.
गत 48 वर्षों में लोकसभा में सभी स्पीकर सर्वसम्मति से चुने गए हैं. इस बार भी दोनों पक्षों के बीच शुरुआत में आम सहमति बन गई थी. एनडीए ने राजनाथ सिंह को विपक्ष के साथ बातचीत करने और आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष समेत इंडिया ब्लॉक में शामिल अन्य दलों के प्रमुखों से बातचीत करके स्पीकर पद के लिए सहमति बनाने की कोशिश की. इसे लेकर आज सुबह उनके दफ्तर में एक बैठक भी हुई, लेकिन ऐन वक्त पर कुछ ऐसा हुआ जिससे चुनाव कराने की नौबत आन पड़ी.
स्पीकर पद को लेकर राजनाथ सिंह के दफ्तर में हुई बैठक में क्या हुआ?
बैठक सुबह 11:15 बजे बुलाई गई थी. एनडीए के सभी सहयोगी दल तय समय पर राजनाथ सिंह के दफ्तर पहुंच गए. अमित शाह और जेपी नड्डा भी मौजूद थे. एनडीए की 10-12 मिनट तक चली बैठक के बाद डीएमके से टीआर बालू वहां पहुंचे. राजनाथ सिंह ने टीआर बालू से अलग से मुलाकात की. बालू नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गए थे, तभी केसी वेणुगोपाल पहुंचे और शर्त रखी कि सरकार को विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद देने का वादा करना होगा.
राजनाथ सिंह समेत बीजेपी और एनडीए के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने केसी वेणुगोपाल से कहा कि पहले स्पीकर पद पर आम सहमति बन जाए फिर डिप्टी स्पीकर पद पर अलग से चर्चा कर ली जाएगी और यह जब भी होगा तो विपक्ष से सलाह ली जाएगी. केसी वेणुगोपाल डिप्टी स्पीकर पद की मांग पर अड़े रहे और जब बात नहीं बनी तो विपक्ष ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया.
इस बैठक से पहले राहुल गांधी ने बीजेपी पर अपनी बात से मुकरने का आरोप लगाया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, 'कल राजनाथ सिंह जी ने मल्लिकार्जुन खरगे जी को फोन किया और कहा कि आप हमारे स्पीकर पद के उम्मीदवार का समर्थन कीजिए. हम स्पीकर का समर्थन करने को तैयार हैं, पर संसदीय परंपरा के अनुसार उपसभापति विपक्ष का होना चाहिए, UPA में भी यही हुआ था. राजनाथ सिंह जी ने कहा कि वह दोबारा फोन करेंगे लेकिन अभी तक फोन नहीं आया. नीयत साफ नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई कंस्ट्रक्टिव कोऑपरेशन नहीं चाहते हैं'.
राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, 'खरगे जी सीनियर लीडर हैं. तीन बार बात की है मैंने उनसे कल से आज तक में. मैं उनका सम्मान करता हूं'. पीयूष गोयल ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा, 'उन्होंने कहा कि पहले डिप्टी स्पीकर के लिए नाम तय करें, फिर हम स्पीकर उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. हम ऐसी राजनीति की निंदा करते हैं. सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चयन करना एक अच्छी परंपरा होती. अध्यक्ष किसी पक्ष या विपक्ष का नहीं होता; वह पूरे सदन के हैं. इसी प्रकार उपसभापति भी किसी दल या समूह का नहीं होता; वह पूरे सदन के हैं. इसलिए सदन की सहमति होनी चाहिए. ऐसी शर्त कि कोई विशेष व्यक्ति या किसी विशेष दल का ही उपाध्यक्ष हो, लोकसभा की किसी भी परंपरा में फिट नहीं बैठती'.