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पद्म भूषण लेने से किया इनकार, CDS पद के रचयिता... एस. जयशंकर के पिता की कहानी जिन्हें इंदिरा राज में हटाया गया था

अपने इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि मैं हमेशा से बेहतरीन फॉरेन सर्विस ऑफिसर बनना चाहता था. मेरी नजरों में विदेश सचिव बनना उस सर्वश्रेष्ठता को हासिल करने की परिभाषा थी. मेरे पिता एक नौकरशाह थे, जो कैबिनेट सेक्रेटरी बन गए थे. लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया. वह उस समय 1979 में जनता सरकार में सबसे युवा सेक्रेटरी थे.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में सुनाया अपने पिता से जुड़ा किस्सा (फाइल फोटो)-16:9 विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में सुनाया अपने पिता से जुड़ा किस्सा (फाइल फोटो)-16:9
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को एएनआई को दिए एक इंटरव्यू के दौरान चीन समेत कई मामलों पर खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने अपने पिता के साथ हुई नाइंसाफी पर भी दो टूक बात की. उन्होंने दावा किया कि उनके पिता डॉ. के. सुब्रमण्यम कैबिनेट सेक्रेटरी थे, लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के दोबारा सत्ता में लौटने पर उन्हें पद से हटा दिया गया.

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जयशंकर ने बताया कि उनके पिता पहले ऐसे सचिव थे, जिन पर इस तरह की कार्रवाई हुई. राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान भी उन्हें बाहर ही रखा गया था. जयशंकर ने कहा कि मेरे पिता सिद्धांतों पर चलने वाले शख्स थे और शायद समस्या यही थी. उसके बाद वह कभी सेक्रेटरी नहीं बने. राजीव गांधी के कार्यकाल में मेरे पिता से जूनियर अधिकारी को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया गया. यह बात उन्हें बहुत खलती रही, लेकिन उन्होंने शायद कभी ही इसके बारे में बात की हो. जब मेरे बड़े भाई सेक्रेटरी बने तो उनका सीना गर्व से फूल गया था. 

कौन थे जयशंकर के पिता सुब्रमण्यम? 

विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता सुब्रमण्यम एक आईएएस ऑफिसर थे और साल 1979 में जनता सरकार में सबसे कम उम्र के सचिव बने थे. एक आईएएस और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में पहचाने जाने वाले सुब्रमण्यम ने करगिल युद्ध समीक्षा समिति की अध्यक्षता भी की तो उन्होंने भारत की परमाणु निरोध नीति का समर्थन भी किया.

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी के. सुब्रमण्यम की तारीफ कर चुके हैं. वहीं तत्कालीन वाइस प्रेसिडेंट हामिद अंसारी ने उन्हें भारत में सामरिक मामलों के समुदाय के प्रमुख के रूप में बताते हुए कहा था कि सुब्रमण्यम हमारी सुरक्षा नीति सिद्धांत के प्रमुख वास्तुकार में से एक हैं. 

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पद्म भूषण सम्मान को लेने से किया मना

साल 1929, जनवरी में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में जन्मे सुब्रमण्यम ने फेमस प्रेसिडेंसी कॉलेज में पढ़ाई की, जिसके बाद वो भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में गए. सुब्रमण्यम के नाम की चर्चा ने तब जोर पकड़ा जब साल 1999 में उन्हें पद्म भूषण के सम्मान से सम्मानित करने का ऐलान किया गया, लेकिन उन्होंने इस सम्मान को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि नौकरशाहों और जर्नलिस्ट को सरकारी अवॉर्ड्स नहीं लेने चाहिए.

सीडीएस के निर्माण की सिफारिश

इससे पहले साल 1998 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सलाहकार बोर्ड (NSCAB) का संयोजक बनाया गया. जिसने भारत के ड्राफ्ट परमाणु सिद्धांत का मसौदा तैयार किया. वहीं पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद साल 1999 में सुब्रमण्यम को सरकार द्वारा गठित करगिल समीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाया गया. इसी समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के निर्माण के लिए सिफारिश की थी. जिसे दिसंबर 2019 में मोदी सरकार ने अपनाया और पूर्व सेना प्रमुख दिवंगत जनरल बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया.  

बता दें कि जयशंकर ब्यूरोक्रेट्स परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वह जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव पद पर रहे. साल 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. उससे पहले 2011 में ही जयशंकर के पिता का निधन हो गया था.
 

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