
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार बनते ही नारदा स्टिंग टेप केस की जांच फिर से शुरू हो गई है. सोमवार को इस घोटाले के आरोपी कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व बीजेपी नेता सोवन चटर्जी को सीबीआई दफ्तर लाया गया.
वहीं कुछ देर बाद यह खबर सामने आने लगी कि बंगाल सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी के साथ साथ विधायक सोवन चटर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या किसी विधायक या मंत्री को गिरफ्तार करने के लिए कोई खास परमिशन चाहिए होती है? क्या इस मामले में राज्यपाल या स्पीकर की इजाजत लेने की ज़रूरत होती है? इस सवाल के जवाब के लिए आजतक ने पश्चिम बंगाल के स्पीकर से बातचीत की.
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आजतक से हुई बातचीत में पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने जानकारी देते हुए बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी विधायक को गिरफ्तार करने से पहले स्पीकर से इजाजत ली जाती है. उन्होंने कहा कि अगर इसके बिना गिरफ्तारी होती है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक कहलाएगी. साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि नारदा केस में गिरफ्तारी के लिए उनकी तरफ से कोई भी परमिशन नहीं दी गयी है.
जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में हाल ही में आए चुनावी नतीजों के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पूर्व मंत्रियों और टीएमसी के शीर्ष नेताओं पर नारदा घोटाले में केस चलाने की मंजूरी दी. जिसके तहत सोमवार 17 मई को सीबीआई, 4 नेताओं को लेकर राज्य के क्राइम ब्रांच के ऑफिस पहुंची थी. जहां बंगाल सरकर के दो मंत्री और एक विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया.
जिसके बाद कोलकाता सीबीआई दफ्तर के बाहर नेताओं के समर्थन में प्रदर्शन होने लगा. वहीं सीएम ममता बनर्जी भी सीबीआई के दफ्तर पहुंच गयीं. सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई के अफसरों से कहा कि अगर आप इन चार नेताओं को गिरफ्तार कर रहे हैं तो मुझे भी गिरफ्तार करना पड़ेगा.