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पीएम और VIP के लिए साफ हो जाते हैं रास्ते तो... बॉम्बे HC ने फुटपाथ अतिक्रमण मामले में BMC को फटकारा

न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ अवैध फेरीवालों द्वारा फुटपाथों पर कब्जा करने के मुद्दे पर आई पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी. अवैध फेरीवालों की वजह से पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह नहीं बची. पीठ ने कहा, ''जब प्रधानमंत्री या कुछ वीवीआईपी आते हैं, तो सड़कें और फुटपाथ तुरंत साफ कर दिए जाते हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट
विद्या
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:23 PM IST

शहर भर में फुटपाथों पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले फेरीवालों के मुद्दे पर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को बीएमसी को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि राज्य इस मामले में अपमानजनक तरीके से घुटने नहीं टेक सकता है, यह अराजकता है.

न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ अवैध फेरीवालों द्वारा फुटपाथों पर कब्जा करने के मुद्दे पर आई पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी. अवैध फेरीवालों की वजह से पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह नहीं बची. पीठ ने कहा, ''जब प्रधानमंत्री या कुछ वीवीआईपी आते हैं, तो सड़कें और फुटपाथ तुरंत साफ कर दिए जाते हैं. उनकी मौजूदगी तक ये बरकरार रहता है तो यह कैसे किया जाता है, और यही काम आम नागरिकों के लिए क्यों नहीं किया जा सकता है? पीठ ने कहा कि, नागरिक करदाता हैं. उन्हें चलने के लिए साफ फुटपाथ और सुरक्षित जगह की जरूरत है. 

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बीएमसी की ओर से पेश वकील एसयू कामदार ने कहा कि शहर के हर वार्ड में लाखों फेरीवाले हैं और नगर निगम के अधिकारियों द्वारा दो पालियों में कार्रवाई करने और फेरीवालों को हटाने के बावजूद, वे वापस आ जाते हैं. कामदार ने आगे कहा कि नागरिक प्राधिकरण फुटपाथों और सड़कों पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले फेरीवालों की सामग्री उठाता है. कामदार ने कहा, "पहले जब वे सामग्री लेने आते थे तो हम जुर्माना लगाते थे, लेकिन अब वे सामग्री लेने भी नहीं आते हैं." पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है जहां अवैध फेरीवालों का मुद्दा उठाने वाले लोगों को पीटा जा रहा है. कामदार ने बताया कि कार्रवाई के दौरान बीएमसी अधिकारियों को भी पीटा जाता है.

इसके बाद पीठ ने बीएमसी पर कड़ा प्रहार किया और कहा, "कम से कम फुटपाथों को दैनिक आधार पर साफ करने की जरूरत है. हम अतिक्रमणकारियों को क्यों बचा रहे हैं? आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं."

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प्राधिकरण को यह याद दिलाते हुए कि 2012 में उसने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह इस मुद्दे से निपटेगा, पीठ ने कहा, "12 वर्षों में ऐसा नहीं हो सकता कि आप अभी भी वही बात कह रहे हों. राज्य को कुछ कठोर कदम उठाना होगा." ऐसा नहीं हो सकता कि अधिकारी लगातार सोच रहे हों कि क्या करना है और इस पर काम करना है. ऐसा लगता है कि इच्छाशक्ति की कमी है क्योंकि जहां इच्छा है वहां हमेशा रास्ता है राज्य सिर्फ यह नहीं कह सकता कि वे वापस आते रहेंगे."

पीठ ने यह भी कहा कि, "हर दिन तलाशी अभियान चलने दें. आपको उन अवैध फेरीवालों की पहचान करनी होगी जो वापस आते रहते हैं. एक समाधान होना चाहिए. हम एक समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जब तक हमें सभी डेटा नहीं मिलेंगे, हम समाधान कैसे निकालेंगे ?"  अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की है.

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