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विधानसभा चुनावों में तीन राज्य जीत बीजेपी ने लोकसभा 2024 का रास्ता तो पक्का कर लिया, लेकिन इस रास्ते पर चलने की रणनीति क्या होगी, ये तय होना बाकी है. तय होना ये भी बाकी है कि जिन तीन राज्यों में पार्टी बहुमत लेकर आई वहां राज्याभिषेक किसका होगा. इन्हीं सारे प्रशनों के बीच चल रहा है संसद का शीतकालीन सत्र, जहां अहम विधेयकों के आवाजाही शुरू हो गई है. इन सभी राजनीतिक हलचलों के बीच आज बीजेपी की संसदीय पार्टी मीटिंग होने वाली है. हमारे इस पॉडकास्ट के छपने से लगभग एक घंटे बाद, यानी 9:30 बजे से इस मीटिंग आगाज़ होगा. तीन राज्यों में बड़ी जीत दर्ज करवाने और शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से लेकर अब तक में, ये पहली बीजेपी पार्लियामेंट्री पार्टी मीटिंग है. तो इस मीटिंग के एजेंडा में क्या है और आम तौर मंगलवार में दिन होने वाली मीटिंग इस बार आगे क्यों सरक गई? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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इतिहास की किताबों में हमनें सिल्क रूट की कहानियां पढ़ी थी. रेशम के व्यापार को करने के लिए शुरु हुआ एक ऐसा बिज़नस नेटवर्क, जिसनें चीन समेत मध्य एशिया, उत्तर भारत, आज के ईरान, इराक़ और सीरिया से होते हुए रोम तक को फायदा पहुंचाया. लेकिन ये कहानी ज़रा पुरानी है. आते हैं 21वीं सदी के साल 2013 में. जब चाइना सिल्क रूट से मिलता जुलता प्रोजेक्ट One Belt One Road या जिसे शॉर्ट फॉर्म में OBOR कहा गया, लेकर आया. 2017 में तो चाइना ने इस प्रोजेक्ट को अपने संविधान में भी शामिल कर लिया. और चाइनीज सरकार का आश्वासन था कि ये प्रोजेक्ट 2049 में पुरा हो जाएगा. लेकिन तब से लेकर 2023 तक में काफी कुछ बदल गया. इन बदलावों में सबसे अहम है, चाइना और उसके साथ बाकी देशों के संबंध. बेल्ट एण्ड रोड प्रोजेक्ट में चाइना के साथ एक मेन प्लेयर कन्ट्री थी, इटली. लेकिन कल इटली ने औपचारिक रूप से इस प्रोजेक्ट को बाय - बाय कह दिया. एनशियंट सिल्क रूट में रोम का ज़िक्र हमनें किया था. चाइना के इस प्रोजेक्ट में इटली का कितना महत्व था, इसके पीछे क्या कारण, क्या राजनीतिक खींचतान छुपी है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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आए दिन हमनें भारत में भूकंपों की खबरें देखी, सुनी और खुद से महसूस भी किए. पर्यावरण से जुड़ी एक रिपोर्ट बताती है कि इस साल, 2020 से 22 की तुलना में दोगुने भूकंप आए हैं. इनकी इन्टेन्सिटी भी कम नहीं थी. बड़े झटकों की बात करें तो , पहला 5.8 तीव्रता का भूकंप 24 जनवरी के दिन आया था , दूसरा 6.2 तीव्रता का 3 अक्टूबर को और तीसरा 6.4 तीव्रता वाला भूकंप पिछले महीने, यानि नवंबर की 3 तारीख के दिन आया था. इनके अलावा भी कई छोटे झटकों की वजह से भारत और साथ ही पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान की धरती कांपती रही हैं. लगातार, संख्या और इन्टेन्सिटी में बढ़ रहे भूकंपों के पीछे क्या वजह है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.