Advertisement

जोशीमठ का धंसना नई बात नहीं लेकिन इस बार ख़तरा बड़ा क्यों है? :आज का दिन, 6 जनवरी

उत्तराखंड के जोशीमठ में ज़मीन क्यों तेज़ी से धंसने लगी है, आज MCD के मेयर की वोटिंग का प्रोसेस क्या रहने वाला है और इंडिया की 'सनशाइन इंडस्ट्री' कैसे अपनी चमक खो रही है? सुनिए 'आज का दिन' में.

जोशीमठ का धंसना नई बात नहीं लेकिन इस बार ख़तरा बड़ा क्यों है? जोशीमठ का धंसना नई बात नहीं लेकिन इस बार ख़तरा बड़ा क्यों है?
कुमार केशव / Kumar Keshav
  • ,
  • 06 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

3488 किलोमीटर लंबी भारत और चीन की सीमा देश के जिन 5 राज्यों से गुजरती है, उत्तराखंड उनमें से एक है. सीमा से महज 150 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर है जोशीमठ, जो चमोली ज़िले में पड़ता है. तो इस लिहाज से ये अंतिम सरहदी शहर है. इसका एक और नाम ज्योतिर्मठ भी है और सामरिक के साथ साथ इसकी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक अहमियत भी है. जोशीमठ को बद्रीनाथ का द्वार माना जाता है और  क़रीब 1500 साल पुराना इसका इतिहास है. 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य को यहीं ज्ञान प्राप्त हुआ और चार मठों में से पहले मठ की स्थापना उन्होंने यहीं की थी. लेकिन अब जोशीमठ के भविष्य पर गंभीर प्रश्न चिह्न लग रहे हैं और कारण है ज़मीन का बड़े पैमाने पर धंसना.

Advertisement

कुछ दिनों से यहाँ बड़ी तेज़ी से जमीन धंसने और जमीन के नीचे से पानी रिसने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसके चलते यहां कई इलाकों में लोगों के मकान जमीन के अंदर धंसते चले जा रहे हैं. घरों की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. जिसे लेकर स्थानीय लोग दहशत में हैं. इस मुद्दे पर पिछले कई दिनों से जोशीमठ में लोग प्रदर्शन भी कर रहे हैं. कल भी विरोध में लोगों ने बंद बुलाया था. लोग सड़क पर उतरे हुए थे. ट्रेड और टैक्सी यूनियन ने भी इस बंद का समर्थन किया था. चमोली देहरादून की तरफ जाने वाले मार्ग पर जाम लग गया. पर्यटकों की गाड़ियों भी इस जाम में फंस गईं. तो ये पूरा मामला क्या है, कितनी गंभीर है, ज़मीन धंसने की घटना से लोग किस कदर परेशान हैं और क्या ये घटना हाल फ़िलहाल के सालों की है या इसका इतिहास और पुराना रहा है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

Advertisement

---------------------------------
दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे आए करीब एक महीने होने को आये, मगर अबतक मेयर के नाम पर मुहर नहीं लग सकी है. लेकिन आज संशय के बादल हट जायेंगे क्योंकि दिल्ली में मेयर, डेप्युटी मेयर और नगर निगम की स्टैंडिंग कमिटी का चुनाव आज होना है. आपको याद दिला देती हूँ कि दिल्ली mcd  में 250 वार्ड में चुनाव हुआ था, जिसमें 134 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी, बीजेपी को 104 सीट मिली थी और कांग्रेस के 9 पार्षद जीते थे. लेकिन नंबर गेम में पीछे रहने के बावजूद बीजेपी ने मेयर, डेपुटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के लिए अपने उम्मीदवार उतार कर मामले को रोमांचक बना दिया है. AAP ने जहां शैली ओबेरॉय को मेयर के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है तो भाजपा ने रेखा गुप्ता को कैंडिडेट घोषित किया है. डिप्टी मेयर पद के लिए बीजेपी के कमल बागड़ी और AAP के आले मोहम्मद इकबाल के बीच मुक़ाबला है. आज सबसे पहले सभी पार्षदों को शपथ दिलाई जाएगी. फिर 11 बजे के करीब मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव होगा. इस चुनाव के लिए बैलेट पेपर का कलर कोड पहले ही तय हो चुका है. मेयर के लिए वाइट बैलेट पेपर, डिप्टी मेयर के लिए ग्रीन बैलेट और स्टैंडिंग कमेटी मेंबर्स के लिए पिंक बैलेट पेपर रखा गया है. तो इन चुनावों का प्रोसेस क्या रहने वाला है और चुनाव से पहले पीठासीन अधिकारी और कुछ कॉउन्सिलर्स के मनोनयन पर AAP और LG के बीच क्यों ठन गई है? क्या आपत्ति है आम आदमी पार्टी को? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.

Advertisement

------------------------
इंडिया में मास स्केल पर नौकरियां देने वाला सबसे बड़ा सेक्टर आईटी इंडस्ट्री है. 220 अरब डॉलर के इस आईटी उद्योग में क़रीब 50  लाख लोग काम कर रहे हैं. दुनिया के कई देशों में भारतीय आईटी कंपनियां सेवाएं दे रही हैं और ग्लोबल आउटसोर्सिंग का 60 फ़ीसदी मार्केट शेयर भारत के पास है. इतना ही नहीं, वर्ल्ड की टॉप टेन सॉफ्टवेयर कंपनियों में से पांच भारतीय हैं. तो इस लिहाज से देखें तो सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में भारत का सिक्का चलता है और इसीलिए आईटी सेक्टर को इंडिया की सनशाइन इंडस्ट्री कहा जाता है. लेकिन इस इंडस्ट्री में सबकुछ सुनहरा ही नहीं है. कुछ स्याह पहलू भी हैं इसके. आखिर क्या कारण है कि आईटी सेक्टर से लोगों का मन उठता जा रहा है और क्यों लोग नौकरियां बदल रहे हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement