
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में शुक्रवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है. अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत दे देते हुए कहा कि वह बिना मंजूरी के देश नहीं छोड़ेंगे और ना ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे.
इस मामले में कोर्ट ने जगदीश टाइटलर को शनिवार को कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए समन जारी किया था. सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उन्हें तलब किया था. टाइटलर को दी गई अग्रिम जमानत में कहा गया है कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. उन्हें एक लाख रुपये के बॉन्ड पर जमानत दी गई थी.
सीबीआई की ओर से 20 मई को जारी की गई चार्जशीट में कहा गया है कि टाइटलर ने एक नवंबर 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा में इकट्ठा हुई भीड़ को उकसाया था, जिस वजह से गुरुद्वारे को आग लगा दी गई थी. इस दौरान तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की हत्या हो गई थी.
बता दें कि 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के पुल बंगश गुरुद्वारे और आसपास हुई हिंसा के आरोपी जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत पर का कड़ा विरोध किया गया था. टाइटलर की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए पीड़ित महिलाओं ने कहा था कि 39 साल हो गए हैं लेकिन हमें न्याय नहीं मिला है. कोर्ट रूम में टाइटलर की जमानत का विरोध करते हुए पीड़ित महिलाएं जज के सामने हाथ जोड़कर रो पड़ी थीं.
पीड़ित पक्ष की ओर से दी गईं थी ये दलीलें
पीड़ितों के वकील HS फुलका ने कहा था कि दिल्ली में दिन दहाड़े 3000 लोगों की हत्या की गई. ये लोग कानूनी प्रावधानों का मख़ौल उड़ाते है. सिख महिलाओं के साथ रेप और हत्या करने वाले इन लोगों को सम्मानित किया गया. इसलिए आज मणिपुर में जो हो रहा है हम सब देख रहे हैं. आज़ादी के समय बंटवारे के समय जो हत्या हुई उसी तरह से का पैटर्न सिख दंगों, गुजरात, मुजफ्फरनगर और दूसरी जगहों पर भी देखा गया. इन लोगों ने न सिर्फ गवाहों को ही नहीं बल्कि वकीलों को भी धमकियां दी हैं. जगदीश टाइटलर प्रभावशाली व्यक्ति है, उनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए.