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'लोकतांत्रिक भारत में आखिरी सांस लेना पसंद करूंगा, बजाय...' दलाई लामा ने क्यों कही ये बात?

तिब्बत के सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का कहना है कि वो चीन में कुछ अधिकारियों की मौजूदगी के बीच मरने के बजाय आजाद और लोकतांत्रिक भारत में आखिरी सांस लेना ज्यादा पसंद करेंगे. उन्होंने गुरुवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने भी वो अपनी ये इच्छा जता चुके हैं.

दलाई लामा (File Photo : PTI) दलाई लामा (File Photo : PTI)
aajtak.in
  • धर्मशाला,
  • 22 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:14 PM IST

तिब्बती लोगों के सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का कहना है कि वो अपने जीवन की आखिरी सांस आजाद और लोकतांत्रिक भारत में लेना पसंद करेंगे, बजाय कि उन्हें कुछ चीनी अधिकारियों के बीच अपने प्राण त्यागने पड़े, जो 'नकली' (भावनाओं) लोग हैं.  

जब मनमोहन सिंह से कही थी ये बात

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में युवा नेताओं के साथ संवाद के दो दिनी कार्यक्रम में दलाई लामा ने गुरुवार को कहा, ' मैंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक मुलाकात में कहा था कि मैं अगले 15-20 साल और जीवित रहूंगा, इसे लेकर कोई सवाल नहीं है. तो जब मैं मरुंगा, तब मैं भारत में मरना पसंद करुंगा. भारत के लोग प्रेम से भरे हैं, ना कि नकली भावनाओं से. अगर मैं चीन में अधिकारियों के बीच घिरे रहकर मरा, तो वो बहुत ज्यादा नकली होगा. मैं इस (भारत) आजाद और लोकतांत्रिक देश में मरना पसंद करुंगा.'

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मनमोहन सिंह के साथ दलाई लामा (Photo : Tibet.Net)

युवा नेताओं के साथ दलाई लामा के इस संवाद का आयोजन United States Institute of Peace (USIP) ने किया था. इस मौके पर दलाई लामा ने कहा कि मृत्यु के वक्त एक व्यक्ति को अपने भरोसेमंद दोस्तों के साथ होना चाहिए, जो सच्ची भावनाओं से भरे हों. उन्होंने अपनी युवाओं के साथ बातचीत का एक वीडियो फेसबुक पर शेयर किया है. यहां देखें ये वीडियो 

दुनियाभर में दलाई लामा को उनके आध्यात्मिक ज्ञान के लिए जाना जाता है. साथ ही वो तिब्बतियों के सबसे बड़े राजनैतिक प्रतिनिधि भी हैं. चीन की सरकार अक्सर दलाई लामा को विवादास्पद और अलगाववादी बताती रही है. वहीं दलाई लामा कई मौकों पर चीन की नीतियों का खुलकर विरोध करते रहे हैं. 

भारत में है तिब्बत की निर्वासित सरकार

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1950 के दशक में चीन ने अवैध तरीके से तिब्बत पर कब्जा कर लिया था. तब दलाई लामा ने भारत से शरण मांगी थी. उस दौर में कांग्रेस की सरकार थी और उसने उन्हें भारत में शरण दी थी. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय है. दलाई लामा ने कई बार चीन के साथ बातचीत के जरिए तिब्बत के मसले को सुलझाने की कोशिश की है. वहीं भारत सरकार का रुख दलाई लामा को लेकर हमेशा साफ रहा है. भारत में लोग उन्हें एक बड़ा धार्मिक नेता मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं. भारत में उन्हें अपनी सभी धार्मिक गतिविधियां पूरी तरह पालन करने की आजादी है.

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