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कर्नाटक सरकार हिजाब बैन का आदेश वापस दे तो खुद ही खत्म हो जाएगा विवाद, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपील की 

Hijab Ban: शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया लेकिन बेंच के दोनों जजों ने इस मामले में इस पर अपनी अलग-अलग राय दी. अब इस मामला में बड़ी बेंच में सुनवाई होगी. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लेटर लिखकर कर्नाटक सरकार से हिजाब बैन का आदेश वापस लेने की अपील की है.

अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में होगी हिजाब बैन मामले की सुनवाई (फाइल फोटो) अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में होगी हिजाब बैन मामले की सुनवाई (फाइल फोटो)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:16 PM IST

Supreme Court Veridct Hijab Ban: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गुरुवार को हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला आने के बाद कहा कि कर्नाटक सरकार को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक से जुड़े आदेश को वापस लेना चाहिए. अगर सरकार ऐसा करती है तो पूरा विवाद ही खत्म हो जाएगा. बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने लेटर जारी कर कहा कि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया का आदेश संविधान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सिद्धातों के अनुरूप है.

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उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति धूलिया ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उनकी शिक्षा में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि इस पहलू का स्वागत किया जाना चाहिए, हालांकि न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता के फैसले में यह पहलू गायब था. उन्होंने कहा कि इस मामले में मतभेद हैं. रहमानी ने कहा कि कर्नाटक सरकार से आग्रह है कि वह हिजाब से जुड़े आदेश को वापस ले. अगर कर्नाटक सरकार यह आदेश वापस ले लेती है तो पूरा विवाद खुद ही खत्म हो जाएगा.

जजों की राय अलग-अलग होने पर मामला बड़ी बेंच ट्रांसफर

शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध रहे या नहीं? अब इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी. इस मामले में अभी जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच सुनवाई कर रही थी. दोनों जजों की राय अलग-अलग रही. इसलिए यह मामला अब बड़ी बेंच के पास चला गया है. 

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सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें अदालत ने कहा था कि हिजाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है. कर्नाटक में हाई कोर्ट में उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छात्राओं ने याचिका दायर की थी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 मार्च को उनकी याचिका खारिज कर दी थी.

यह क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक में हिजाब विवाद की कहानी पिछले साल 31 दिसंबर से शुरू हुई. तब उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आईं 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया था. इससे कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया. इसके बाद कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में हिजाब को लेकर प्रदर्शन होने लगे. मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर क्लास जाने की जिद पर अड़ी रहीं. इसके जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा पहनकर कॉलेज जाने लगे.

5 फरवरी 2022 को कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी किया. इसमें ऐसे सभी धार्मिक कपड़ों के स्कूल-कॉलेज में पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्थान बिगड़ने का खतरा हो.

कर्नाटक हाई कोर्ट सरकार के इस आदेश को भी चुनौती दी गई. साथ ही छात्राओं ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की मांग को लेकर याचिका दायर की. कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च को इन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा हिजाब पहनने से रोकने से मुस्लिम लड़कियों की पढ़ाई खतरे में पड़ जाएगी और वो क्लास में नहीं जा सकेंगी. वहीं, कर्नाटक सरकार ने तर्क दिया कि हिजाब पहनने या न पहनने से कोई महिला कम इस्लामी नहीं हो जाती.

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