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बिलकिस बानो केस के गवाह ने CJI को लिखा पत्र, कहा- 'मेरी जान को खतरा है'

साल 2002 में पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो से गैंगरेप किया गया था. इसके साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी. गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रीमिशन पॉलिसी के तहत रिहा कर दिया था. मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

गुजरात का बिलकिस बानो केस गुजरात का बिलकिस बानो केस
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 21 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

गुजरात के बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के बाद गुजरात सरकार के फैसले पर देशभर में सवाल उठ रहे हैं. कारण, गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रीमिशन पॉलिसी के तहत रिहा कर दिया था. इस पर विवाद तो काफी हुआ लेकिन कई साल बाद सभी आरोपी जेल से बाहर आ गए. हालांकि एक बार फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस बीच बिलकिस बानो मामले में एक गवाह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें इस मामले के प्रमुख दोषियों में से एक राधेश्याम शाह के जरिए कथित तौर पर जान से मारने की धमकी दी गई है. 

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दरअसल, गवाह इम्तियाज घांची गुजरात के सींधवड गांव के मूल निवासी हैं और वर्तमान में देवगढ़ बरिया में रहते हैं. 19 सितंबर को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि वह 15 सितंबर को सींधवड से देवगढ़ बरिया लौट रहे थे. तभी राधेश्याम शाह ने उन्हें पिपलोद रेलवे बैरिकेड पर देखा. आरोप है कि शाह ने इशारा किया और कथित तौर पर कहा, "आपको क्या मिला मुझे आरोपी कहकर, मैं अभी बाहर हूं."  इसके बाद वह वहां से चले गए. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि मेरी जान को खतरा है. दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. 

बता दें कि साल 2002 में पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो से गैंगरेप किया गया था. इसके साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी. इस मामले में 21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा था. लेकिन गुजरात सरकार ने माफी नीति के आधार पर इन 11 दोषियों को समय से पहले ही रिहा कर दिया था. सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दी गई है. जिस पर सुनवाई चल रही है.

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