
दिन बीत रहे हैं. तारीखें बदल रही हैं, मगर मणिपुर में हिंसा नहीं थम रही है. अब तो इस मुद्दे पर संसद भी गरम है. विपक्ष का शोर बढ़ गया है. संसद में विरोध करने के नए-नए तरीके खोजे और अपनाए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी एक्शन में देखा जा रहा है. पहले सरकार को चेतावनी, फिर मामले में सुनवाई और सीबीआई जांच के भरोसे ने नया मोड़ ला दिया है. फिलहाल, सरकार का कहना है कि हम मणिपुर में शांति बहाल की दिशा में बातचीत अंतिम दौर में है. दोनों पक्षों (कुकी और मैतेई) के प्रमुख लोग उनके संपर्क में हैं.
मणिपुर में 86 दिन से हिंसा की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. इस बीच, केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराए जाने के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के माध्यम से शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर किया है. जिसमें समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई को मणिपुर से बाहर ट्रांसफर करने का आग्रह किया है. मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया था
बता दें कि मणिपुर में पिछले सप्ताह दो महिलाओं का निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने का वीडियो सामने आया था. इन दोनों महिलाओं के साथ गैंगरेप भी किया गया था. एक पीड़िता के पिता और भाई ने विरोध किया तो उनकी हत्या कर दी गई थी. घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया था और कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया था. मामले में 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लिया था. SC ने कहा था कि वीडियो हैरान करने वाला है. हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और मणिपुर सरकार को तत्काल उचित कदम उठाने और कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया था.
अब जातीय हिंसा पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
अब केंद्र सरकार ने घटना के संबंध में अपना जवाब दाखिल किया है. इसमें कहा, मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई को पत्र के माध्यम से आगे की जांच के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है. गृह मंत्रालय ने 27 जुलाई को मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है. बेंच अब मणिपुर में जातीय हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुनवाई करेगी.
केंद्र ने हलफनामे में और क्या-क्या कहा...
- केंद्र सरकार का मानना है कि जांच जल्द से जल्द पूरी की जानी चाहिए. मुकदमा भी समयबद्ध तरीके से चलाया जाना चाहिए. मामले की सुनवाई समेत पूरे केस को मणिपुर के बाहर किसी भी राज्य में ट्रांसफर करने का आदेश दिया जाए.
- इस केस में ट्रायल भी फास्ट ट्रैक में चलाया जाए, जिससे चार्जशीट दाखिल होने के 6 महीने के भीतर कार्रवाई हो सके.
- किसी भी राज्य के बाहर मामले/मुकदमे को ट्रांसफर करने की शक्ति सिर्फ इस अदालत (सुप्रीम कोर्ट) के पास है. इसलिए, केंद्र सरकार इस अदालत से ऐसा आदेश पारित करने का अनुरोध करती है.
- मणिपुर सरकार ने सूचित किया है कि सात मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आगे की जांच के लिए वे पुलिस कस्टडी में हैं.
- कुछ अपराधियों की पहचान हो गई है. उनकी गिरफ्तारी के लिए कई पुलिस टीमें गठित की गई हैं. संबंधित ठिकानों पर लगातार छापे मारे जा रहे हैं.
- एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के अधिकारी को अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में मामले की जांच सौंपी गई है.
- केंद्र सरकार, महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस के तहत एक्शन लेती है. इस तरह के अपराध बेहद जघन्य हैं. इन अपराधों को ना सिर्फ गंभीरता से लिया जाना चाहिए बल्कि न्याय भी होना चाहिए.
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- महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में सजा और एक्शन से पूरे देश में इसका संदेश जाए. यही एक कारण है कि केंद्र ने राज्य सरकार की सहमति से जांच एक स्वतंत्र एजेंसी यानी सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया है.
- मणिपुर सरकार ने विभिन्न राहत शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिला मनोवैज्ञानिक सहायता टीमों का गठन किया है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए पुलिस स्टेशन प्रभारी को ऐसे सभी मामलों की रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को देना अनिवार्य कर दिया गया है.
- एसपी रैंक का एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डीजीपी की सीधी निगरानी में इन जांचों की निगरानी करेगा. ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने और फरार अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को उचित इनाम भी दिया जाएगा.
- चुराचांदपुर के जिला अस्पताल से एक वरिष्ठ विशेष (मनोचिकित्सक), एक विशेषज्ञ (मनोरोग) और एक मनोवैज्ञानिक की महिला टीम को पीड़ितों की सहायता के लिए तैनात किया गया है.
- केंद्र सरकार जरूरत के अनुसार अपने चिकित्सा संस्थानों से विशेषज्ञों की सेवाएं भी प्रदान करेगी. जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से पीड़ितों को कानूनी सहायता भी प्रदान की गई है.
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- स्थानीय पुलिस के अलावा सीएपीएफ की 124 अतिरिक्त कंपनियां और सेना/असम राइफल्स की 185 टुकड़ियां वर्तमान में मणिपुर में तैनात हैं.
- एकीकृत कमान में सभी सुरक्षा बलों और नागरिक प्रशासन का प्रतिनिधित्व शामिल है. सुरक्षा सलाहकार भी तैनात किए गए हैं.
- मणिपुर में कर्फ्यू और अन्य कानूनों का उल्लंघन करने के लिए 13,782 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है.
- राज्य सरकार द्वारा भीड़ को इकट्ठा होने से रोकने और त्वरित कार्रवाई के लिए ड्रोन का उपयोग करके हवाई निगरानी का प्रस्ताव दिया गया है.
- शीर्ष अदालत शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने वाली है और गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझावों और प्रस्तावों पर विचार करेगी.
मणिपुर में 3 मई से हिंसा
बताते चलें कि महिलाओं के हैवानियत की ये घटना 4 मई को हुई थी. हालांकि, वीडियो पिछले हफ्ते सामने आया था. घटना के बाद मणिपुर की पहाड़ी इलाके में तनाव बढ़ गया था. राज्य में 3 मई को पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी. अब तक 150 लोग मारे गए हैं और कई सैकड़ा लोग घायल हुए हैं. मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का विरोध किया जा रहा है.