
लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तीन हफ्ते के लिए टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता डॉ जया ठाकुर की ओर से दायर अर्जी की कॉपी सम्बधित पक्ष को देने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 22 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा.
कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने लगाई है याचिका
मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता डॉ जया ठाकुर ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नीति लागू करने का आदेश देने की गुहार सुप्रीम कोर्ट से लगाई है. ठाकुर की याचिका में कहा गया है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को नए सिरे से परिसीमन होने के बाद लागू करने के प्रावधान को हटाया जाए. इस कानून को 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले अपने सच्ची भावना में लागू किया जाए.
बता दें कि कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर ने 2024 के लोकसभा चुनाव से ही महिला आरक्षण की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की है. उन्होंने याचिका में कहा है कि संविधान संशोधन को लोकसभा, राज्यों के विधानसभा में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने के प्रावधान को अनिश्चित काल के लिए नहीं रोका जाना चाहिए. उन्होंने परिसीमन का इंतजार किए बिना ही महिला आरक्षण को 2024 के लोकसभा चुनाव से ही लागू कराने की मांग रखी है.
3 हफ्ते के लिए टल गई सुनवाई
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष इस याचिका पर 3 नवंबर, यानी शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किया गया था, लेकिन इस याचिका पर अब सुनवाई 3 हफ्ते के लिए टल गई है. दाखिल याचिका में कांग्रेस नेता जया ठाकुर परिसीमन की शर्तों को हटाने और इसे 2024 के चुनाव से ही लागू करने की मांग की है. उन्होंने याचिका में कहा है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समाज के हर कोने का प्रतिनिधित्व आवश्यक है लेकिन पिछले 75 सालों से संसद के साथ-साथ राज्यों के विधानसभाओं में भी महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है.
लोकसभा चुनाव से पहले ही आरक्षण लागू करने की मांग
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए कानून को उचित से पारित किया गया है, लेकिन इसमें यह शर्त लगा दी गई है कि जनगणना के प्रासंगिक आंकड़ों के बाद परिसीमन के बाद इसे लागू किया जाएगा. उन्होंने याचिका में कहा गया है कि कानून में लगाए गए इस शर्त को शून्य घोषित किया जा सकता है ताकि 33 महिला आरक्षण को तत्काल लागू किया जा सके. याचिकाकर्ता ने कहा है कि संवैधानिक संशोधन को अनिश्चित समय के लिए नहीं रोका जाना चाहिए, खासकर तब जब इसे पारित करने के लिए संसद के विशेष सत्र बुलाया गया हो और संसद के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया हो.