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Happy Women's Day 2025: नारी शक्ति को करें सलाम, इन खास मैसेज से दें महिला दिवस की शुभकामनाएं

Happy women's day 2025 Wishes: हम सबके जीवन में महिला की भूमिका में मां, बहन, बेटी, बहू होती है, जिनके बिना हम अधूरे होते है. स्त्री है, तो संसार है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस खास अवसर पर आप भी महिलाओं को बधाई एवं शुभकामना संदेश भेज सकते हैं.

Women's Day 2025 Women's Day 2025
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 07 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

International Women's Day 2025: दुनियाभर में शनिवार, 8 मार्च का दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये दिन महिलाओं के सम्मान में समर्पित है. महिलाओं को सम्मान देने और समाज में उनके प्रति बुरे रवैये के बदलाव के उद्देश्य से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर आप उन्हें कुछ खास संदेश भेज सकते हैं. ये संदेश आप आपकी बहन, मां, पत्‍नी, दोस्‍त या ऑफिस कलीग्‍स को भी भेज सकते हैं.

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> हज़ारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,
हज़ारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए,
हज़ारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए,
पर एक “स्त्री” अकेली ही काफी है..
घर को स्वर्ग बनाने के लिए…
आपको महिला दिवस की हार्दिक बधाई!

> नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में
Happy Women's Day

>लोग कहते हैं तेरा क्या अस्तित्व नारी, 
दुःखों को दूर कर, खुशियों को बिखेरे नारी.
Happy Women’s Day 2025

>अभी रौशन हुआ जाता है रास्ता, 
वो देखो एक औरत आ रही है.
Happy Women’s Day 2025

>एक रानी की तरह सोचिए, 
रानी असफलता से नहीं डरती 
क्योंकि वह सफलता की एक सीढ़ी है 
Happy Women’s Day 2025

>मुस्कुराकर, दर्द भूलकर रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी, 
हर पग को रोशन करने वाली, वो शक्ति है एक नारी. 
Happy Women’s Day 2025

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> जिसने बस त्याग ही त्याग किए,
जो बस दूसरों के लिए जिए,
फिर क्यों उसको धिक्कार दो,
उसे जीने का अधिकार दो।
महिला दिवस की शुभकामनाएं

> आया समय, उठो तुम नारी,
युग निर्माण तुम्हें करना है,
आजादी की खुदी नींव में,
तुम्हें प्रगति पत्थर भरना है।
हैप्पी महिला दिवस

>हर दुख दर्द सहकर वो मुस्कुराती है,
पत्थर की दीवारों को औरत ही घर बनाती है. 
सभ्यता का युग तब आएगा
जब औरत की मर्ज़ी के बिना 
कोई औरत को हाथ नहीं लगाएगा. 

>हर दुख दर्द सहकर वो मुस्कुराती है,
पत्थर की दीवारों को औरह ही घर बनाती है. 
किसी भी समाज की उन्नति उस समाज की औरतों की उन्नति से मापी जा सकती है.

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