
जंतर मंतर पर पिछले एक महीने से कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे पहलवानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है. विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत अन्य पहलवानों पर सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई, दंगा करने और ड्यूटी पर तैनात पब्लिक सर्वेंट के काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नई संसद का उद्घाटन किया था. विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया समेत पहलवानों ने रविवार को जंतर मंतर से नई संसद तक मार्च निकाला था. इसके बाद पुलिस ने उन्होंने रोकने की कोशिश की थी. इसके बाद जमकर बवाल हुआ था.
पुलिस ने खाली कराई धरने वाली जगह
इस बवाल के बाद दिल्ली पुलिस ने जंतर मंतर को खाली करा दिया, जहां एक महीने से प्रदर्शन जारी था. पुलिस का कहना है कि अब पहलवानों को दोबारा वहां लौटने नहीं दिया जाएगा. पुलिस ने बताया कि दिल्ली से 700 लोगों को हिरासत में लिया गया था. वहीं, तीनों पहलवानों समेत 109 को जंतर मंतर से हिरासत में लिया गया. हालांकि, शाम को ही विनेश फोगट, साक्षी मलिक समेत सभी महिला प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया गया. जंतर मंतर को खाली कराकर वहां धारा 144 लागू कर दी गई. किसी को जाने की इजाजत नहीं है.
विपक्षी दलों ने पहलवानों के साथ कथित मारपीट के मामले में केंद्र सरकार पर हमला साधा है. पहलवान 23 अप्रैल से जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है.
जंतर मंतर से संसद भवन तक...रविवार को क्या क्या हुआ?
पहलवानों ने रविवार को जंतर मंतर से नए संसद भवन तक मार्च का ऐलान किया था. साथ ही पहलवानों ने संसद के बाहर ही महिला महापंचायत बुलाई थी. हालांकि, इसके लिए पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी. साथ ही पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे.
नए संसद भवन से तीन किलोमीटर दूर जंतर-मंतर से मार्च शुरू किया, तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की. लेकिन फोगट बहनों और साक्षी मलिक ने सुरक्षा घेरे को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की. इसके बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस कर्मियों के बीच धक्का मुक्की और हाथापाई हुई.
इसके बाद पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में ले लिया और उन्हें बसों से अलग अलग जगह ले गए. इसके बाद पुलिस ने गद्दे,टेंट और कूलर, पंखों को हटाकर जंतर मंतर को साफ कर दिया.
पुलिस का क्या कहना है?
स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस दीपेंद्र पाठक ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने बार-बार अनुरोध और चेतावनियों को नजरअंदाज किया और उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले पुलिस कर्मियों के साथ 'कुश्ती' की. उन्होंने कहा, रविवार का दिन देश के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था क्योंकि संसद के नए भवन का उद्घाटन होना था और जंतर-मंतर पर प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देने और बार-बार आग्रह करने के बावजूद वे प्रदर्शन स्थल से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. पहलवानों ने अत्यधिक गैर जिम्मेदार रवैया दिखाया.
पुलिस के मुताबिक, वे सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों में खलल डालने की कोशिश कर रहे थे. दीपेंद्र पाठक ने कहा, अब पहलवानों को जंतर मंतर पर धरने के लिए नहीं बैठने दिया जाएगा. जंतर मंतर साफ करा दिया गया है.
क्या बोले पहलवान?
ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने ट्वीट कर जंतर-मंतर पर अपना धरना जारी रखने की कसम खाई. उन्होंने ट्वीट किया, "हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है... हम अपना सत्याग्रह जंतर-मंतर से शुरू करेंगे. इस देश में तानाशाही नहीं होगी, बल्कि महिला पहलवानों का सत्याग्रह होगा.''
विनेश फोगाट ने ट्वीट कर कहा, पुलिस ने मुझे, साक्षी मलिक और संगीता फोगाट को रिहा कर दिया. जबकि अन्य को अभी भी हिरासत में रखा गया है. विनेश ने ट्वीट कर कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR करने में पुलिस को 7 दिन लगे थे. लेकिन शांतिपूर्वक विरोध करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने में 7 घंटे भी नहीं लगा.
FIR में क्या है दावा?
पुलिस ने दावा किया कि पहलवानों ने बेरिकेड्स को तोड़ा, दुर्व्यवहार किया और महिला कांस्टेबलों समेत अन्य पुलिस कर्मियों के धक्का मुक्की की. इसके बाद पुलिस ने धरना दे रहे पहलवानों और उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
पुलिस के मुताबिक, ''जंतर मंतर पर पुलिसकर्मियों के साथ हुई हाथापाई के मामले में पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट, बजरंग पुनिया और संगीता फोगट और अन्य लोगों के खिलाफ नई दिल्ली के संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
किन धाराओं के खिलाफ मामला दर्ज
पुलिस ने FIR IPC की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा), 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला) और 332 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य से डराने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दर्ज की गई है.
इसके अलावा पहलवानों पर आईपीसी की धारा 352 (गंभीर उकसावे के अलावा हमला या आपराधिक बल), 147 (दंगे) और 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 (सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत) भी लगाई गई है.
किसान नेता भी हिरासत में
किसान संगठनों ने भी पहलवानों के धरने में समर्थन देने का ऐलान किया था. ऐसे में संसद भवन के पास और दिल्ली से लगी सीमाओं पर पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी थी और किसानों के समूह को दिल्ली आने से रोक दिया गया. कई किसान नेताओं को हरियाणा में भी हिरासत में लिया गया.
किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली आ रहे किसानों ने दिल्ली आने की कोशिश की. लेकिन उन्हें गाजीपुर पर ही रोक दिया गया. इसके बाद उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर धरना भी दिया. हालांकि, बाद में प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो गए.
विपक्ष ने केंद्र पर साधा निशाना
विपक्ष ने पहलवानों के मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ''राज्याभिषेक पूरा हुआ, 'अहंकारी राजा' सड़कों पर कुचल रहा जनता की आवाज!'' पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह शर्मनाक है कि हमारे चैंपियन इस तरह से व्यवहार करते हैं.
ममता के अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले और वामपंथी नेताओं ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ हुए व्यवहार की निंदा की.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ''भाजपा सरकार का अहंकार इतना बढ़ गया है कि वह निर्दयता से हमारी महिला खिलाड़ियों की आवाज अपने जूते के नीचे दबा रही है. यह पूरी तरह से गलत है.''