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पीने लायक तो छोड़िए, नहाने के लिए भी ठीक नहीं दिल्ली में यमुना का पानी

वजीराबाद, आईटीओ और कालिंदी कुंज से सैंपल किए गए पानी की गुणवत्ता इतनी खराब पाई गई है कि इनमें नहाने तक की सलाह नहीं दी जा सकती. खासतौर पर कालिंदी कुंज का पानी सबसे अधिक दूषित पाया गया, जबकि वजीराबाद का पानी भी मानकों पर खरा नहीं उतरता.

दिल्‍ली में छठ के पहले यमुना नदी में झाग. (फाइल फोटो) दिल्‍ली में छठ के पहले यमुना नदी में झाग. (फाइल फोटो)
सुशांत मेहरा
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:53 PM IST

दिल्ली की यमुना नदी से लिए गए पानी के सभी नमूने टेस्ट में फेल हो गए हैं. न सिर्फ पीने के लिए, बल्कि नहाने के लिए भी यह पानी बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है. वजीराबाद, आईटीओ और कालिंदी कुंज से सैंपल किए गए पानी की गुणवत्ता इतनी खराब पाई गई है कि इनमें नहाने तक की सलाह नहीं दी जा सकती. खासतौर पर कालिंदी कुंज का पानी सबसे अधिक दूषित पाया गया, जबकि वजीराबाद का पानी भी मानकों पर खरा नहीं उतरता.

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जांच में तीनों जगहों पर डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर बेहद कम पाया गया. सामान्यतः, डीओ का स्तर 5 से अधिक होना चाहिए, लेकिन यह मानक से भी नीचे है, जो कि जल गुणवत्ता के लिए गंभीर स्थिति को दर्शाता है. यमुना नदी, जो दिल्ली में लाखों लोगों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है, वह चिंता की वजह बनी हुई है. इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए आज तक इंडिया टुडे ने यमुना के पानी की गहन जांच करने का निर्णय लिया.

कैसे की गई जांच
सुबह 7:15 बजे, वजीराबाद बैराज के पास से श्रीराम इंस्टीट्यूट की टीम ने एक बोट के जरिए यमुना नदी के बीच में जाकर पानी का सैंपल लिया. सैंपल को नदी की गहराई से लिया गया ताकि पानी की सही गुणवत्ता का पता चल सके. इस दौरान साइंटिस्ट रवि ने बताया कि प्रत्येक पैरामीटर से यमुना की वास्तविक स्थिति का पता चलता है. उदाहरण के लिए, पीएच स्तर से पानी की अम्लीयता या क्षारीयता मापी जाती है. सुरक्षित पानी के लिए यह स्तर 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए.

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इसके बाद, टीम ने आईटीओ छठ घाट पर पहुंचकर नदी से और सैंपल लिए. वजीराबाद से होते हुए जब यमुना आईटीओ पर पहुंचती है, तो इसमें कई नालों का गंदा पानी आकर मिलता है, जिससे नदी का रंग बदल जाता है और दुर्गंध भी आने लगती है. आईटीओ घाट से आगे बढ़कर टीम कालिंदी कुंज बैराज पर पहुंची. यहां से यमुना उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और पिछले 20 दिनों में यहां पर पानी में बढ़ते जहरीले तत्वों के कारण सफेद झाग दिखने लगे हैं. यहां से भी सैंपल लिया गया ताकि पानी की सटीक गुणवत्ता मापी जा सके.

जांच में सामने आए खतरनाक तथ्य
जांच के दौरान यह पता चला कि तीनों जगहों पर पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम है. यह जल में जीवन के लिए आवश्यक होता है और इसकी कमी से पानी का दूषित होना स्पष्ट है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, नहाने के पानी में बैक्टीरिया की संख्या 500 एमपीएन (MPN) से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन यमुना के इन तीनों सैंपल्स में बैक्टीरिया का स्तर इस सीमा से काफी ज्यादा पाया गया. WHO के दिशा-निर्देशों के अनुसार, नदी के जल में बैक्टीरिया की संख्या 100 CFU से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि जांच में यह संख्या कई गुना ज्यादा पाई गई.

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अमोनियाकल नाइट्रोजन का स्तर भी सामान्य से काफी अधिक पाया गया, जो पानी की अम्लीयता को बढ़ाता है और मानव तथा जलीय जीवों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. फॉस्फेट की मात्रा भी सामान्य से अधिक मिली, जो झाग का कारण बनती है और त्वचा संबंधी एलर्जी का भी प्रमुख कारण बन सकती है.

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पानी में ई-कोली और स्ट्रेप्टोकोकी बैक्टीरिया का स्तर बहुत अधिक है. आईटीओ घाट पर इसका स्तर 260,000 तक पहुंच गया था, जबकि कालिंदी कुंज में यह 140,000 पर था. वजीराबाद का पानी भी सुरक्षित नहीं है और इसमें बैक्टीरिया का स्तर 8,000 पाया गया. इन बैक्टीरिया की उपस्थिति का मुख्य कारण सीवर और नालों का गंदा पानी है जो सीधे यमुना में बहता है. यह गंभीर गैस्ट्रो-आंत्र रोगों का कारण भी बन सकता है.

यमुना का दूषित पानी - एक गंभीर स्वास्थ्य संकट
दिल्ली की लाइफलाइन मानी जाने वाली यमुना नदी का यह दूषित पानी न केवल स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि आने वाले समय में इसके और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं. सरकार और जिम्मेदार विभागों को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि यमुना का पानी एक बार फिर से पीने और नहाने योग्य बनाया जा सके.

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