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तवांग झड़प: गलवान के बाद यांगत्से पर थी चीन की निगाहें, एक साल में चरम पर पहुंचा तनाव

अरुणाचल प्रदेश में LAC के पास तवांग सेक्टर के यांगत्से में 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी. इसमें दोनों देशों के जवानों को मामूली चोटें आई हैं. हालांकि बाद भारत के कमांडरों ने चीन के साथ फ्लैग मीटिंग कर मामला सुलझा लिया है. यांगत्से का अपना धार्मिक महत्व है. यह तिब्बती संस्कृति का प्रतीक है, इसीलिए दोनों देशों के लिए यह आस्था का एक केंद्र भी है.

यांग्स्ते के 108 जलप्रपातों का तिब्बती संस्कृति में है विशेष महत्व (फाइल फोटो) यांग्स्ते के 108 जलप्रपातों का तिब्बती संस्कृति में है विशेष महत्व (फाइल फोटो)
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:05 AM IST

मई 2020 में लद्दाख में टकराव के बाद से ही भारतीय सेना को इस बात का अंदाजा हो चुका था कि ईस्टर्न फ्रंट पर चीन के मंसूबे अच्छे नहीं हैं. इसी इस्टर्न सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश आता है. विस्तारवादी चीन इस इलाके को दक्षिण तिब्बत बताता है. 

भारत और चीन के बीच जब लद्दाख में तनाव बढ़ गया तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ईस्टर्न सेक्टर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दीं. चीन अपने सैन्य साजो सामान यहां ले आया. इसी के साथ ही LAC पर तनाव बढ़ा और माहौल में गर्माहट आ गई. 

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इसका नतीजा यह हुआ कि इस पूरे क्षेत्र में दोनों देशों की पेट्रोलिंग बढ़ गई, पेट्रोलिंग बढ़ी तो टकराव भी बढ़ा. जिन इलाकों में टकराव बढ़ा उसमें यांगत्से भी था. इसी यांगत्से में 9 दिसंबर को टकराव हुआ था. 

बता दें कि यांगत्से LAC पर भारत और चीन के बीच विवादित स्थानों में से एक है और यही वह जगह है जो पूर्ण रूप से भारतीय नियंत्रण में है. चीन को इसी बात की चिढ़ है. हाल ही में इस क्षेत्र में भारत ने विकास से जुड़े कई काम किए हैं. बस भारत की यही सक्रियता चीन को परेशान कर रही है.  

हालांकि, लद्दाख विवाद शुरू होने से पहले और डोकलाम गतिरोध के बाद यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देकर चीजों को आसान बनाने की आपसी योजना थी. यांगत्से में 108 जलप्रपात हैं, जिन्हें तिब्बती संस्कृति में पवित्र माना जाता है. दोनों देशों के नागरिकों में इस जगह को लेकर आस्था है.

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चीनी नागरिक कैमरों के जरिए लेते हैं जलप्रपात का नजारा

जानकारी के मुताबिक चीनी नागरिकों ने अपनी तरफ बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगा रखी हैं. वे हाई रेजॉल्यूशन कैमरों के माध्यम से स्क्रीन पर लाइव फीड के जरिए पवित्र जलप्रपात का नजारा लेते हैं. इसी तरह चीनी पक्ष में बनीं गुफाओं को भी दोनों देशों के लोग पवित्र मानते हैं. 2019 में दोनों तरफ के लोगों को इन धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति देने का प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन लद्दाख में हुई झड़प ने एलएसी के पार चीजें बदल दीं.

तवांग सेक्टर का यांगत्से इलाका अरुणाचल प्रदेश के उन स्थानों में से एक था, जहां भारतीय सेना ने क्षमताओं को बढ़ाया है, बुनियादी ढांचे का निर्माण किया और चीन के किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए सामरिक शक्ति बढ़ाई है. वहीं चीनियों ने भी जवाब में आक्रामकता अपना रखी है.

चीन ने प्रशिक्षण अभ्यास के समय को बढ़ाया

भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और तत्कालीन पूर्वी सेना कमांडर ने पूर्वी क्षेत्र में चीनी गतिविधियों के बारे कहा था, "वे (चीनी) अपने सशस्त्र बलों के कई तरह के एलिमेंट्स को एक साथ ला रहे हैं. इस साल गहन क्षेत्रों में वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास में कुछ वृद्धि हुई और प्रशिक्षण क्षेत्रों में रिजर्व्ड फॉर्मेशन बनी रहीं.

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वहीं इसके जवाब में भारतीय सेना ने आक्रामक रुख अपनाते हुए लंबी दूरी की निगरानी वाले ड्रोन, राडार और नाइट विजन क्षमताओं को शामिल करके अपने निगरानी ग्रिड को मजबूत किया. इसके अलावा उन्नत निगरानी प्लेटफॉर्म भारतीय सेना को एलएसी के पार चीनी गतिविधियों की सटीक तस्वीर देते हैं.

भारत के पास चीनी हरकत की थी खुफिया जानकारी

भारतीय सेना को यांगत्से में 17,000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ की चोटी से हटाने के लिए चीनी लामबंदी के बारे में पहले से खुफिया जानकारी दी. 9 दिसंबर को भारत और चीनी सैनिकों के बीच अचानक से झड़प नहीं हुई थी. सूत्रों का कहना है कि पिछले 15 दिनों से इसका माहौल तैयार हो रहा था. पिछले एक साल से इस क्षेत्र में एलएसी के करीब दोनों पक्षों द्वारा बुनियादी ढांचों को विकसित करने की कोशिश हो रही है, जिससे समस्या पैदा हो रही है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि चीनी सैनिकों ने यांगत्से क्षेत्र में LAC को पार करने की कोशिश की. हमारे सैनिकों ने उनका मुकाबला किया. इस दौरान उनसे हाथापाई भी हुई, जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उन्हें अपनी चौकियों पर लौटने के लिए मजबूर किया. हाथापाई में दोनों देशों के जवान जख्मी हुए हैं. भारतीय सैन्य कमांडरों के समय रहत हस्तक्षेप के कारण पीएलए सैनिक अपने स्थानों पर वापस चले गए.

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पूर्वी सेक्टर में सेना की एविएशन विंग को किया मजबूत

पूर्वी सेक्टर में चीन के खिलाफ सेना की एविएशन विंग को बहुत बढ़ावा दिया गया है. हवाई संचालन को बढ़ाने और जमीन पर  बलों का सपोर्ट बढ़ाने के उद्देश्य से सेना ने पिछले साल पूर्वी क्षेत्र में अपनी पहली विमानन ब्रिगेड की स्थापना की, जो हाल ही में असम में मिसामारी से काम कर रही है. 

भारतीय सेना के अन्य दो विमानन ब्रिगेड का मुख्यालय लेह और जोधपुर में है. हाल ही में लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड को भी इस ब्रिगेड में शामिल किया गया है. बढ़ते चीनी सैन्य बुनियादी ढांचे के मद्देनजर पूर्वी क्षेत्र में जमीनी बलों का सपोर्ट बढ़ाने के लिए सेना की हवाई क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मिसामारी एविएशन ब्रिगेड की स्थापना मार्च 2021 में की गई थी.

ब्रिगेड की स्थापना और लंबी दूरी की निगरानी के लिए ड्रोन, राडार और नाइट विजन की क्षमताओं को शामिल करने के साथ उपग्रह इमेजरी से एलएसी के पार चीनी गतिविधियों की सटीक तस्वीर देती है. सीमा पर हथियारों से लैस उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव, रुद्र, एएलएच के हथियारबंद वर्जन, अपग्रेडेड इजराइली हेरॉन यूएवी तैनात कर रखे हैं.

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