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2017 में शुरू हुआ था ऑपरेशन हुर्रियत...यासीन मलिक एंड कंपनी के खिलाफ ऐसे जुटे थे सबूत

NIA ने स्वत: संज्ञान लेते हुए टेरर फंडिंग के मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था. इसमें यासीन मलिक समेत कई अलगाववादी नेताओं के नाम थे.10 अप्रैल 2019 को NIA ने यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार किया था.

यासीन मलिक को 10 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार किया गया था. यासीन मलिक को 10 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार किया गया था.
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2022,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST
  • यासीन मलिक को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
  • 2017 में गिरफ्तार हुआ था यासीन मलिक

यासीन मलिक को बुधवार को NIA कोर्ट ने टेरर फंडिंग के दो केसों में उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा उस पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. यासीन मलिक के गुनाहों की लिस्ट काफी लंबी और पुरानी है. वह लंबे वक्त से कश्मीर में आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहा है. उस पर वायुसेना के जवानों की हत्या, तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया के अपहरण समेत तमाम केस चल रहे हैं. लेकिन यासीन मलिक को जिस केस में सजा हुई, उसकी नींव 2017 में रखी गई थी. आईए जानते हैं कि कैसे टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक को उसके गुनाहों की सजा मिली? 

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असम डीजीपी जीपी सिंह ने आजतक को बताया कि उन्होंने NIA में IG रहते यासीन मलिक का केस देखा था. जीपी सिंह के मुताबिक, NIA को भारत सरकार की ओर से 2017 में साफ आदेश था कि जम्मू कश्मीर में मौजूदा हालातों के जिम्मेदार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता हैं. उनके खिलाफ एक्शन लिया जाना है. ऐसे में NIA को सभी जरूरी सबूत उनके खिलाफ जुटाना है. 
 
हुर्रियत नेताओं के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के मिले थे सबूत

जीपी सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से हमें आदेश दिया गया था कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं के खिलाफ हर जरूरी सबूत जुटाना है. इसके बाद बहुत से NIA अफसरों को पहचान बदलकर कश्मीर में कैंप किया गया. उन्होंने हुर्रियत के अलग अलग दफ्तरों से दस्तावेजों को इकट्ठा किया. हुर्रियत नेताओं के खिलाफ सबूत जुटाए गए. इन्हीं के आधार पर हुर्रियत के नेताओं को गिरफ्तार किया गया. 

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इन्हीं सबूतों के आधार पर मिली सजा

इन तमाम सबूतों का जिक्र चार्जशीट में किया गया. उन्हें सभी सबूतों और दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया गया. उन्होंने कहा, अभी सभी आरोपियों को सजा नहीं मिली है, ऐसे में सबूतों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते. लेकिन वे इतना कह सकते हैं कि उन्हीं सबूतों के आधार पर यासीन मलिक को सजा मिली है. 

जीपी सिंह ने कहा, ये फैसला राष्ट्रहित में है. राष्ट्र प्रेम की राष्ट्रद्रोह पर जीत है. जो लोग राष्ट्र के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होते हैं उनके लिए साफ वार्निंग है कि ये नया भारत है. इसमें ऐसी गतिविधियों को जगह नहीं है. 

 

जीपी सिंह 2017 में NIA में आईजी थे.

2017 में NIA ने दर्ज किया था केस

NIA ने स्वत: संज्ञान लेते हुए टेरर फंडिंग के मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था. इसमें कई अलगाववादी नेताओं के नाम थे. इसमें यासीन मलिक का भी नाम था. 10 अप्रैल 2019 को NIA ने यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार किया था.  

यासीन मलिक को UAPA की धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत दोषी पाया गया. धारा 38 तब लगती है, जब आरोपी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पता चलती है. धारा 39 आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर लगाई जाती है. गैरकानूनी संगठनों, आतंकवादी गैंग और संगठनों की सदस्यता को लेकर इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है. सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन का सदस्य पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है. वहीं, धारा 121 A राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध का प्रयास करने पर लगाई जाती. 

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कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी पाते हुए दो केसों में उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने माना है कि मलिक ने 'आजादी' के नाम जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था. 

 

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