
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में डॉक्टर्स ने एक जटिल सर्जरी करके यमन के नागरिक के सिर में फंसी गोली निकाली है. 18 साल पहले गोली लगने से इस शख्स के दोनों कान बहरे हो गए थे. यमन में काफी इलाज चला, लेकिन तकलीफ दूर नहीं हो सकी. बाद में उसने भारत आने का फैसला किया. यहां बेंगलुरु में उसे नई जिंदगी मिली है.
डॉक्टर्स का कहना था कि सर्जरी के बाद शख्स के सिर से तीन सेंटीमीटर की गोली निकाली गई है. हॉस्पिटल का कहना है कि मरीज अब अपने देश यमन वापस लौट गया है. उसका स्वास्थ्य अब ठीक है.
'यमन में डॉक्टर्स ने हाथ खड़े किए'
बेंगलुरु के एस्टर आरवी हॉस्पिटल के मुताबिक, 18 साल पहले दो पक्षों में विवाद हो रहा था. इस बीच गोलीबारी शुरू हो गई. एक गोली उसके सिर में जा धंसी, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गया. शख्स का कहना है कि गोली लगने के बाद उसे कुछ सुनाई नहीं देता था. उसने कई बड़े हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से संपर्क किया, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए. बाद में एस्टर आरवी हॉस्पिटल आया और ऑपरेशन करवाया.
'कनपटी की हड्डी में गहराई तक फंसी थी गोली'
हॉस्पिटल के अनुसार, गोली बायीं कनपटी की हड्डी में गहराई तक धंसी हुई थी, जिससे एक बड़ा सर्जिकल चैलेंज था. हॉस्पिटल ने कहा कि डॉ. विनायक कुर्ले के साथ डॉ. रोहित उदय प्रसाद के नेतृत्व में ईएनटी सर्जनों की टीम ने मरीज के कान से तीन सेंटीमीटर लंबी गोली सफलतापूर्वक निकाली.
'गोली का पता लगाने में आईं दिक्कतें'
हॉस्पिटल ने कहा कि सर्जिकल टीम को गोली की जगह के कारण स्पष्ट इमेजिंग पता करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. साथ ही उसके सिर के अंदर एक धातु होने के कारण एमआरआई में भी पता नहीं चल सका. गोली का पता करने के लिए सीटी एंजियोग्राफी की गई.
'एनेस्थीसिया के तहत की गई सर्जरी'
डॉक्टर्स ने एक्स-रे इमेजिंग का भी उपयोग किया. मरीज के लगातार लक्षणों को देखते हुए सर्जरी का फैसला लिया गया. गोली तक पहुंचने के लिए आसपास की हड्डी को सावधानीपूर्वक हटाकर सामान्य एनेस्थीसिया के तहत सर्जरी की गई. डॉक्टर्स को गोली के चारों ओर एक रेशेदार कैप्सूल मिला, जो इसे महत्वपूर्ण संरचनाओं से चिपकने से रोकता था. हॉस्पिटल ने कहा, इससे उन्हें गोली के एक टुकड़े को सफलतापूर्वक निकालने में मदद मिली.