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अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होना है. इससे पहले आज तक ने योग गुरू बाबा रामदेव से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से राय रखते हुए कहा कि अयोध्या में तो कोर्ट का फैसला आ चुका है, लेकिन अब मुसलमानों को काशी विश्वनाथ और मथुरा जन्मभूमि के विवाद को स्वेच्छापूर्वक खत्म करने के बारे में सोचना चाहिए.
स्वामी रामदेव ने कहा,'मेरे लिए राम राष्ट्रधर्म और वेद धर्म हैं. राम का नाम लेकर हमने हर काम शुरू किया है. हमारे दादा-दादी और माता-पिता सब अनपढ़ थे, लेकिन वो भी कहते थे कि कोई भी काम राम का नाम लेकर ही शुरू करना चाहिए.' मंदिर-मस्जिद से जुड़े विवादों पर लगाम लगाने की मांग करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि जो आज खुद को हिंदू नहीं मानते हैं, उनके पूर्वज भी राम ही हैं.
लाखों लोगों ने प्राणों की आहुति दी
उन्होंने आगे कहा कि जो राम से विमुख हो गया, वो तो जीते जी मर जाता है. हमारी तो पीढ़ियां राम-राम रटते हुए बीत गईं. हमने तो कभी सोचा भी नहीं था कि इस जन्म में भव्य राम मंदिर के दर्शन कर पाएंगे. बाबा रामदेव से जब पूछा गया कि क्या राम मंदिर का मुद्दा राजनीतिक है तो उन्होंने कहा कि जो राम के अस्तित्व को नहीं मानते उनके लिए राम राजनीति का जरिया हो सकते हैं. राम मंदिर के लिए लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है. तब ये दिन देखने को मिला है.
काशी-मथुरा में मस्जिद का क्या काम
बाबा रामदेव ने आगे कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद सनातन के गौरवपूर्ण युग का एक नया आगाज और शंखनाद होगा. उन्होंने कहा कि वह मंदिर-मस्जिद की बातें नहीं करते हैं, लेकिन काशी विश्वनाथ में मस्जिद का क्या काम और वो भी ज्ञानवापी. भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में मस्जिद का क्या काम. अयोध्या पर तो कोर्ट ने निर्णय दे ही दिया है. अब कम से कम काशी विश्वनाथ और जन्मभूमि मथुरा पर मुसलमानों को स्वेच्छापूर्वक, श्रद्धापूर्वक और भक्तिपूर्वक विचार करना चाहिए.