
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को कहा कि योग दुनिया को 'भारत की सभ्यता की देन' है. आरएसएस ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर एक ट्वीट में कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि अनिवार्य रूप से समग्र जीवन की पद्धति है.
आरएसएस ने ट्वीट कर कहा, 'योग भारतीय सभ्यता की विश्व को देन है। ‘युज’ धातु से बने योग शब्द का अर्थ है जोड़ना. योग केवल शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं है, महर्षि पतंजलि जैसे ऋषियों के अनुसार यह शरीर मन, बुद्धि और आत्मा को जोड़ने की समग्र जीवन पद्धति है. शास्त्रों में ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’, ‘मनः प्रशमनोपायः योगः’ तथा ‘समत्वं योग उच्यते’ आदि विविध प्रकार से योग की व्याख्या की गयी है, जिसे अपनाकर व्यक्ति शान्त व निरामय जीवन का अनुभव करता है.'
आरएसएस ने कहा, 'योग का अनुसरण कर संतुलित तथा प्रकृति से सुसंगत जीवन जीने का प्रयास करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, जिसमें दुनिया के विभिन्न संस्कृतियों के सामान्य व्यक्ति से लेकर प्रसिद्ध व्यक्तियों का समावेश है. विश्व भर में योग का प्रसार करने के लिए अनेक संतों, योगाचार्यों तथा योग प्रशिक्षकों ने अपना योगदान दिया है. समस्त योग-प्रेमी जनता का कर्तव्य है कि दुनिया के कोने कोने में योग का सन्देश प्रसारित करे.'
यह सभी योग अनुयायियों का कर्तव्य है कि वे योग के इस संदेश को महाद्वीपों में दूर-दूर तक फैलाएं. आरएसएस ने कहा कि आज दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग, चाहे वह आम जनता हो, मशहूर हस्तियां, उद्यमी और विभिन्न संस्कृतियों के राजनेता, योग को प्रकृति के अनुरूप एक संतुलित जीवन शैली के रूप में अपना रहे हैं. संघ ने कहा कि दुनिया भर में योग के प्रसार में कई संतों, योग शिक्षकों और योग प्रशिक्षकों ने योगदान दिया है.