
दिल्ली में बैठक के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी CM पहुंच चुके हैं. अगले 48 घंटों में दिल्ली में कई अहम बैठकें होनी है. शनिवार को नीति आयोग की पहली बैठक है, दूसरी बैठक बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी सीएम की है. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश को लेकर सीएम योगी और बीजेपी की टॉप लीडरशिप के बीच यूपी को लेकर अहम बैठक हो सकती है.
चर्चा ऐसी भी है कि दिल्ली में मौजूद संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ भी सीएम योगी की अगले 48 घंटे में मुलाकात हो सकती है. यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक, मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे. प्रयागराज मंडल की बैठक में केशव मौर्य नहीं थे और लखनऊ मंडल की बैठक में ब्रजेश पाठक गायब थे.
सवाल यही है कि दोनों को बुलाया नहीं गया या फिर दोनों ने मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक से दूरी बना ली. उधर, केशव मौर्य को चुनाव हराने वाली पल्लवी पटेल के साथ बीते दिन सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मीटिंग हुई. मौर्या से मतभेद की चर्चाओं के बीच हुई मीटिंग की टाइमिंग को लेकर सियासी मायने खोजे जा रहे हैं, पल्लवी पटेल से मुलाकात ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया. अंदरूनी खटपट के बीच CM योगी के साथ-साथ दोनों डिप्टी CM को दिल्ली बुलाना बताता है कि अंदरखाने कुछ बड़ा चल रहा है.
बीजेपी की तरफ से दावा किया जा रहा है कि पार्टी में सबकुछ ठीक है, लेकिन इस दावे से इतर जमीनी सच एकदम अलग नजर आता है. पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्य का संगठन की बैठक में संगठन को सरकार से बड़ा बताना फिर CM योगी की समीक्षा बैठक में दोनों डिप्टी सीएम की गैरमौजूदगी. पार्टी के अंदर खाने मची खींचतान की ओर इशार कर रही है. वही अखिलेश यादव के ऑफर की टाइमिंग और बीजेपी के अंदर मची कलेश को जोड़ कर देखें तो सियासी तस्वीर साफ हो जाएगी. मतलब ये कि बीजेपी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है.
क्या कलह के बीच सरकार गिराने का प्लान है?
4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए, इधर परिणाम आए और उधर यूपी में परिवर्तन की चार्चाओं का सियासी बाजार गर्म हो गया. सियासी गलियारे में यही दावे सुनाई देने लगे कि यूपी में खराब प्रदर्शन की गाज किसी बड़े नेता पर गिरेगी. इन चर्चाओं को हवा दे दी केशव प्रसाद मौर्य के एक बयान ने. बस फिर क्या था अंदरूनी लड़ाई सतह पर आ गई. इसी बीच संगठन बनाम सरकार की लड़ाई में अखिलेश यादव की एंट्री हुई-और उन्होंने एक तीर से दो निशाने साध दिए.
अब समझिए अखिलेश यादव ने मझे हुए सियासी खिलाड़ी की तरह 1 तीर से 2 निशाने कैसे साधे. अखिलेश यादव ने मानसून ऑफर का ऐलान करके यूपी में BJP की सरकार की धड़कने बढ़ा दी, अपने ऑफर से संदेश दे दिया कि यूपी बीजेपी में असंतुष्ठ विधायकों अगर बगावत करते हैं तो समाजवादी पार्टी के समर्थन से सरकार बना सकते हैं. मतलब यही है कि योगी से नाराज नेता अगर चाहे तो यूपी में तख्तापलट हो सकता है.
अखिलेश ने दूसरा निशाना साधा बीजेपी के घरेलू झगड़े को दिल्ली बनाम लखनऊ के नैरेटिव से जोड़कर, संदेश यही देने की कोशिश है कि CM योगी को हटाने का प्लान दिल्ली में बन चुका है. जो बात अखिलेश यादव ने कही, वही बात उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारे में घूम रही है. समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव यही दावा कर रहे हैं कि पार्टी के मुखिया की तरफ से दिए गए ऑफर के पीछे ठोस वजह है.
अखिलेश यादव ने दिया मानसून ऑफर
अखिलेश यादव ने मानसून ऑफर के बहाने, यूपी में बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. अब सवाल है कि अखिलेश ने जो कहा, क्या यूपी में ऐसा संभव है, क्या बीजेपी के 100 विधायक बगावत करते हैं तो योगी की सरकार गिर जाएगी. आखिर नंबर गेम की कसौटी पर अखिलेश यादव का ऑफर कहां टिकता है. आपको बताते हैं.
दरअसल, इसे समझने के लिए आपको यूपी विधानसभा का गणित समझना होगा. फिलहाल उत्तर प्रदेश की कुल 403 सीटों में 393 विधायक है, दस सीटें खाली है, जहां उपचुनाव होने हैं. बहुमत का आकड़ा-197 है जबकि NDA के विधायकों की संख्या 283 है, जिसमें बीजेपी के 251, अपना दल के 13, आरएलडी के 8, एसबीएसपी के 6, निषाद पार्टी के 5, वही इंडिया गठंधन के कुल 107 विधायक हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी के 105 कांग्रेस के दो विधायक. जबकि तीन अन्य विधायक हैं. अब सवाल है कि क्या यूपी में BJP की सरकार गिरना संभव है. इसे आप तीन संभावनाओं से समझिए.
पहली संभावना-अगर 100 विधायक बीजेपी से बागी हुए तो उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी. सदन के विधायकों की संख्या 293 हो जाएगी. बहुमत का आंकड़ा 147 हो जाएगा. बीजेपी के पास 151 विधायक रहेंगे, यानी सरकार नहीं गिरेगी.
दूसरी संभावना बीजेपी के 251 विधायक हैं, सरकार गिराने के लिए दो तिहाई विधायक बीजेपी से अलग हो यानी कि 168 विधायक अलग हों. तभी सदस्यता बचेगी. तभी बीजेपी की सरकार गिरेगी. तीसरी संभावना बीजेपी के 251 विधायकों में 110 विधायक इस्तीफा दे तो सदन की संख्या घटकर 283 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 142 हो जाएगा.
ऐसे में अगर NDA में शामिल तमाम दल अलग होकर इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाए, ऐसी सूरत में ही अखिलेश यादव का ऑफर सफल होगा. जिसकी संभावना ना के बराबर है.